पहली_मोहब्बत
पहली_मोहब्बत
“सबसे छिप कर तेरा यूं छत पर आना,
पहले बुलाना फ़िर हमसे ही शरमाना
नज़रें मिलाकर यूं मदहोश कर जाना,
अपनी बाली उमर पर इस क़दर इतराना
घनी ज़ुल्फ़ों को यूं हवा में लहराना,
अपनी हर अदा से फ़िर हमको सताना
इन हसीं लम्हों का यूं झट से गुज़र जाना,
तेरा इन आंखों से फ़िर से ओझल हो जाना
सच है कि सबसे जुदा है तू और जुदा है तेरा
यूं सबसे छिप कर मुझसे मिलने आना”