पहली राखी तेरे बिन
सबकुछ सूना सूना है तेरे बिन
हमारी पहली राखी है तेरे बिन
सबकी कलाईयाँ भरी हैं
हमारी कलाई उदास हैं
सबके लबों पर हँसी है
तेरे भाई उदास हैं तेरे बिन
हमारी पहली राखी है तेरे बिन
हर बार तेरा इन्तजार किया
देर होने पर कितना फोन किया
मुस्कान बिखर गयी चेहरे पर
तूने जब प्रेम धागा बांध दिया
अनंत है इन्तजार अब तेरे बिन
हमारी पहली राखी है तेरे बिन
तू देख ले हमें अनंत आकाश से
तेरे लिए वही प्यार का अहसास है
मन थोड़ा भारी है पलकें भी नम हैं
तेरे चले जाने का हम सबको गम है
कौन भरेगा हमारी कलाई तेरे बिन
हमारी पहली राखी है तेरे बिन
माँ जो सेवइयाँ तोड़ते न थकती थी
तेरे लिये डिब्बे भर भर रखती थी
मीठा तो तुझे बिल्कुल पसन्द न था
मैगी जैसी सेवइयाँ तैयार करती थी
मैदा तक न लाई इस बार तेरे बिन
हमारी पहली राखी है तेरे बिन ।
” सन्दीप कुमार ”
18/08/2016