पहली मुलाकात
पहली मुलाकात
अगर उस शाम बरसात नहीं होती…
पहली मुलाकात यूं खास नहीं होती…
तुम्हारा लाल साइकल पर इतरा कर हवा होना..
तुम्हीं थी मर्ज कॉलेज में तुम्हारा ही दवा होना..
अगर होती ना पंक्चर मोड़ पर, उस दिन तेरी साइकल,
उस दिन अचानक बात नहीं होती…
पहली मुलाकात यूं खास नहीं होती…
मरम्मत की दुकान तक हमसफ़र बन साथ यूं चलना..
बहुत घबराई सकुचाई, नज़र मिल मिल के यूं झुकना..
लटों का गाल पर आना उसे उंगली से सुलझाना,
रब की इनायत थी नहीं तो साथ नहीं होती…
पहली मुलाकात यूं खास नहीं होती…
शाम का यूं गहराना, तुम्हारा और घबराना..
बादलों का घरघराना, तुम्हारी धड़कनें बढ़ना..
दामिनी ना दरकती और बादल ना गरजते तो,
लिपटती ना कभी मुझसे, जाने हयात नहीं होती..
पहली मुलाकात यूं खास नहीं होती…
भारतेन्द्र शर्मा “भारत”
धौलपूर, राजस्थान