पहली मुलाकात
****पहली पहली मुलाकात****
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पहली मुलाकात सा नजारा नहीं
सच्चा प्यारा मिलता दुबारा नही
थोड़ी थोड़ी शर्म झिझक होती है
प्रेमी जैसा साथी कोई प्यारा नहीं
प्रेम की बातें कंठ में रुक जाती हैं
सुखा सा हलक देता सहारा नहीं
आँसुओं से आँखें भीग जाती है
प्रेमवर्षण जैसा कोई फुव्वारा नहीं
छाया रहता है दिलोदिमाग में डर
डूबता जहाज मिले किनारा नहीँ
काँपती हुई टाँगे बेसुध सा दिमाग
आँखों से जो हुआ सा ईशारा नहीं
प्रेम उपासना में सदा रहते हैं लीन
नेह पूजा अर्चना जैसा गवारा नहीं
मनसीरत को याद है वो मुलाकात
प्रेमिल भावनाओं बिन गुजारा नहीं
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)