पहली मुलाकात
गीता की जिंदगी एक ढर्रे पर चल रही थी। 29 साल की उम्र तक आते-आते उसने बहुत कुछ हासिल किया था। एक अच्छी नौकरी, शहर के सुंदरनगर इलाके में खुद का घर, और ढेर सारे दोस्त। लेकिन कहीं न कहीं, उसके दिल में एक खालीपन था, जिसे वो महसूस तो करती थी, लेकिन उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल था।
एक दिन, ऑफिस से लौटते समय उसे एक किताब की दुकान दिखाई दी। यह एक पुरानी, लेकिन बहुत ही आकर्षक जगह थी। हमेशा की तरह, वो अपने आप को किताबों के आकर्षण से बचा नहीं पाई और दुकान के अंदर चली गई। किताबों के बीच घूमते हुए, उसकी नजर एक आदमी पर पड़ी, जो एक किताब में डूबा हुआ था। उसकी आँखों में एक अलग ही चमक थी, जैसे वो किताब उसकी जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हो।
गीता ने भी एक किताब उठाई और पढ़ने लगी, लेकिन उसका ध्यान उस आदमी की तरफ ही था। अचानक उस आदमी ने अपनी नजरें उठाईं और गीता की नजरों से टकराईं। एक पल के लिए, जैसे समय थम सा गया। दोनों के बीच एक अनकहा संवाद हुआ, जिसे किसी ने नहीं सुना लेकिन दोनों ने महसूस किया।
वो आदमी मुस्कराया और उसकी तरफ बढ़ा, “आप भी किताबों की दीवानी लगती हैं।”
गीता हल्का सा हँसी, “जी, किताबों में एक अलग ही दुनिया होती है।”
“मैं अमन हूँ,” उसने अपना हाथ बढ़ाते हुए कहा।
“गीता,” उसने हाथ मिलाते हुए अपना परिचय दिया।
उसके बाद दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया। किताबों से लेकर जिंदगी के अनुभवों तक, दोनों ने कई विषयों पर बात की। अमन की बातें गीता के दिल को छू गईं। उसमें एक खास तरह की सादगी और गहराई थी, जो उसे बहुत आकर्षक लगी।
कुछ ही मुलाकातों के बाद, गीता और अमन की दोस्ती गहरी होती गई। दोनों के बीच एक अनकहा खिंचाव था, जो उन्हें एक-दूसरे के करीब ला रहा था। एक दिन, अमन ने गीता को अपने घर डिनर के लिए आमंत्रित किया।
गीता थोड़ा हिचकिचाई, लेकिन उसने हाँ कर दी। वो जानती थी कि उसके दिल में कुछ खास हो रहा है, और वो इस भावना को और नजरअंदाज नहीं कर सकती थी।
शाम को जब गीता अमन के घर पहुंची, तो उसने देखा कि अमन ने घर को बहुत ही खूबसूरती से सजाया था। हल्की रोशनी, मोमबत्तियों की चमक और धीमी संगीत ने माहौल को और भी रोमांटिक बना दिया था।
डिनर के बाद, दोनों बालकनी में बैठे थे। ठंडी हवा चल रही थी और शहर की रोशनी दूर तक फैली हुई थी। अमन ने गीता का हाथ थाम लिया, “गीता, मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ।”
गीता ने उसकी आँखों में देखा। उसकी धड़कनें तेज हो गईं, लेकिन उसने खुद को संभाला।
“मैं नहीं जानता कि ये सब कैसे हुआ, लेकिन जब से तुमसे मिला हूँ, मेरी जिंदगी में एक नया रंग आ गया है। तुम्हारे बिना अब कुछ अधूरा सा लगता है।”
गीता ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, “अमन, मैं भी ऐसा ही महसूस करती हूँ। लेकिन ये सब बहुत जल्दी हो रहा है, मुझे थोड़ा समय चाहिए।”
अमन ने उसके हाथ को और कसकर पकड़ा, “मैं तुम्हारा हर फैसला स्वीकार करूंगा। बस तुम्हारे साथ रहने का मन करता है।”
उस पल में, दोनों के बीच की दूरी खत्म हो गई। अमन ने गीता को अपने करीब खींचा और उसका चेहरा अपने हाथों में थाम लिया। उनकी नजरें एक-दूसरे में खो गईं। फिर धीरे से, अमन ने गीता के होंठों को अपने होंठों से छू लिया।
वो पल दोनों के लिए अनमोल था। गीता ने भी अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त किया और दोनों के बीच की वो पहली किस (चुंबन) एक नए रिश्ते की शुरुआत बन गई।
गीता और अमन के बीच की पहली किस (चुंबन) के बाद दोनों के बीच एक अलग ही ऊर्जा आ गई थी। वो रात उनके लिए किसी जादुई पल से कम नहीं थी। बालकनी में खड़े हुए, ठंडी हवा और शहर की चमचमाती रोशनी के बीच, दोनों एक-दूसरे की बांहों में खो गए थे।
अमन ने धीरे से गीता को और करीब खींचा। उनकी सांसें एक-दूसरे से टकरा रही थीं, और उस पल में, गीता ने खुद को पूरी तरह अमन के हवाले कर दिया। अमन ने उसकी कमर के चारों ओर अपनी बाहें कस दीं, और उनके होंठों ने एक बार फिर एक-दूसरे को तलाश लिया। इस बार, किस में एक गहराई और एक अनकही चाहत थी।
उनका यह अंतरंग पल गीता के लिए एक नया अनुभव था, जो उसके दिल की धड़कनों को तेज कर रहा था। वो किसी सपने की तरह था, जहां सब कुछ इतना सही और खूबसूरत लग रहा था।
अमन ने धीरे-धीरे गीता को कमरे के अंदर ले जाया, जहाँ धीमी रोशनी और संगीत ने माहौल को और भी खास बना दिया था। गीता के दिल में उठ रही भावनाओं को वह शब्दों में बयां नहीं कर पा रही थी, लेकिन उसकी आँखें, उसकी साँसें, और उसका हर स्पर्श अमन के लिए काफी था।
अमन ने धीरे से उसके बालों को पीछे किया और उसकी आँखों में झांकते हुए कहा, “तुम्हारे बिना मेरी दुनिया अधूरी है, गीता। तुम्हारा साथ पाकर मुझे लगता है कि मेरी जिंदगी में सच्चा प्यार आ गया है।”
गीता की आँखों में नमी आ गई। उसने अमन के चेहरे को अपने हाथों में थामा और कहा, “अमन, तुमने मेरे दिल के हर कोने को छू लिया है। मैं तुम्हें अपने हर हिस्से में महसूस करती हूँ। तुमसे मिलकर मुझे समझ आया कि प्यार क्या होता है।”
उसने अमन के चेहरे पर एक कोमल किस (चुंबन) दी और उसकी बाहों में सिमट गई। अमन ने उसे कसकर अपने सीने से लगा लिया। उनके बीच कोई भी शब्द नहीं था, लेकिन उनका हर स्पर्श, हर किस, उनकी भावनाओं को गहराई से बयां कर रहा था।
उनकी धड़कनें एक लय में चल रही थीं, जैसे उनके दिल एक हो गए हों। धीरे-धीरे, अमन ने गीता को अपने करीब खींचा और उसके गालों पर अपनी उंगलियों की नर्मी महसूस कराते हुए उसे अपने और भी करीब ले आया।
अमन ने धीरे-धीरे अपने होंठों से गीता के होंठों को छुआ। वह एक गहरी और प्यार भरी किस (चुंबन) थी, जिसमें कोई जल्दबाजी नहीं थी, सिर्फ प्यार और एक-दूसरे के साथ होने का एहसास।
उनकी किस (चुंबन) गहरी होती गई, और दोनों के बीच का रोमांच और भी बढ़ता गया। गीता ने अमन की पीठ पर अपनी उंगलियों का दबाव बढ़ा दिया, जबकि अमन ने उसकी नाजुक कलाई को अपने हाथों में थाम लिया। उनके बीच का यह क्षण उनके रिश्ते को एक नई ऊँचाई पर ले जा रहा था। धीरे-धीरे, उन्होंने खुद को बेडरूम की तरफ बढ़ाया। बेडरूम की नर्म रोशनी में, अमन ने गीता को बेड पर बिठाया और उसके चेहरे पर प्यार भरी निगाह डाली। गीता ने भी उसे अपने करीब खींच लिया। उस पल में, वे दोनों एक-दूसरे के साथ पूरी तरह खो गए थे।
अमन ने उसकी उंगलियों को अपने हाथों में लिया और उसके हाथों पर कोमल किस (चुंबन) की। गीता के शरीर में एक सिहरन दौड़ गई। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं, और अमन ने उसके कंधों से होते हुए धीरे-धीरे उसके होंठों को फिर से छू लिया।
रात धीरे-धीरे गुजरती रही,और उनके बीच की नजदीकियां बढ़ती गईं। वे दोनों एक-दूसरे के प्यार में पूरी तरह डूब चुके थे।
सुबह की पहली किरणों के साथ, गीता ने अपने आप को अमन की बाहों में पाया। उसकी आँखों में एक चमक थी, जैसे उसने अपने जीवन का सबसे बड़ा खजाना पा लिया हो। अमन भी उसे देखकर मुस्कराया और उसके माथे पर एक प्यारी सी किस(चुंबन) दी।
“गीता,” अमन ने धीरे से कहा, “हमारा रिश्ता इस दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज है, और मैं इसे हमेशा संजो कर रखना चाहता हूँ।”
गीता ने हल्के से मुस्कराते हुए कहा, “अमन, तुम्हारे साथ बिताया हर पल मेरे लिए अनमोल है। मैं भी तुम्हें अपने दिल के सबसे करीब रखना चाहती हूँ।”
उसके बाद, गीता और अमन ने एक-दूसरे को कसकर गले लगाया। वो सुबह उनके प्यार की एक नई शुरुआत थी, जिसमें कोई वादा नहीं था, लेकिन हर क्षण में एक दूसरे के साथ होने की खुशी थी।
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