-पहली बरसात
चमक रही बिजली नभ में,
गरज रहे बादल गगन में,
आई मौसम की पहली बरसात,
भीगे मन खुशियों के साथ,
देख बूंदों को धरा पर ,
उमड़ जाती बचपन की यादें,
बच्चे थे जब झूम-झूम कर गीत गाते,
बनाकर नाव कागज की पानी में चलाते,
भीग जाते हम जब बाबा हमें आंख दिखाते,
याद है हमें,,,हमें बाबा मां की डांट से बचाते,
मां की हाथ की गरम पकोड़े जब हम खाते,
कितने याद आते वह बचपन के दिन!!
जब बरसात के मौसम आते हैं।
जब से छूटा मां का अंगना…
बहुत याद आता अपने मायका का गगना,
बिताया अपना सुनहरा बचपन पलना,
दूर नहीं होने देते हम अपनी बचपन की यादों को,
बच्चों में ढूंढ लेंते वो बचपन वाली बारिश को,
बनाकर नाव कागज की उनको पकड़ा देते,
पिया संग मिलकर बारिश में मस्ती करते,
हंसी ठिठोली कर आनन्द का रस भरते
बेसन के पकोड़े, मिट्टी की सोंधी सुगंध लेते
लुफ्त उठाते बारिश की हर बूंदों मजा लेते।।
-सीमा गुप्ता अलवर,राजस्थान