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14 Oct 2017 · 1 min read

पहली किरण

जब कुछ न सूझे,
कोई न बूझे,
जीवन बन जाये रण,
तब राह दिखाती किरण,

डाल डाल पंछी चहके,
मधुबन फूलो से महके,
मन्द मन्द पवन बहती,
स्वर्णिम किरण निकलती,

कितना सुखद हैं !
न कोई खेद हैं ।
कितना मनोहर हैं !
बीते न यह पहर।
यह पहली किरण का नजारा हैं ।
यही जग का सहारा हैं ।
।।।जेपीएल।।।

Language: Hindi
594 Views
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