पहली किरण
जब कुछ न सूझे,
कोई न बूझे,
जीवन बन जाये रण,
तब राह दिखाती किरण,
डाल डाल पंछी चहके,
मधुबन फूलो से महके,
मन्द मन्द पवन बहती,
स्वर्णिम किरण निकलती,
कितना सुखद हैं !
न कोई खेद हैं ।
कितना मनोहर हैं !
बीते न यह पहर।
यह पहली किरण का नजारा हैं ।
यही जग का सहारा हैं ।
।।।जेपीएल।।।