पहली किताब या पहली मुहब्बत
सादर नमन 💐🙏प्रस्तुत है मेरी लिखित पुस्तक “नाम तेरा होगा “ग़ज़ल संग्रह जों अभी कुछ दिन पहले प्रकाशित हुई |उसके प्रकाशन का भी बेसब्री से इन्तजार था अब जब प्रकाशित हो गयी है तो मन प्रफुल्लित है और बार बार उसे देख रहा हूँ |स्वयं की कृति पर आत्ममुग्ध हूँ और इसी आत्ममुग्धता में अपनी किताब के ऊपर विचार कविता का रूप ले रहें है कुछ प्रस्तुत कर रहा हूँ |
“पहली किताब या पहली मुहब्बत ”
जब शब्दों की मूरत ने पन्नों का रूप लिया,
जैसे ख्वाबों में बसी प्रेयसी ने साकार रूप लिया।
देखता हूँ उसे, जैसे पहली बार चाँद को देखा हो,
हर पन्ना, हर हर्फ़, उसके सौंदर्य का हिस्सा हो। किताब का हर अक्षर उसकी आँखों की चमक सा,
कवर पेज पर मेरे नाम की छवि उसकी मुस्कान सा।
जैसे किसी ने आसमां में सितारों के संग चाँद सजाया हो,
वैसी ही लगती है ये किताब , जैसे किसी ने उसे यहाँ बुलाया हो। जी नहीं भरता, बस देखता रहता हूँ उसे,
हर बार निहारता हूँ, जैसे पहली बार देखा हो उसे।
हो सकता है, और भी किताबें लिखूँ मैं,
पर पहला प्यार तो पहली किताब ही होगी,
इसका स्थान कोई अन्य किताब नहीं ले सकती। उसके कवर पेज पर मेरी ऊँगली, उसके हाथों का स्पर्श कर रही है |
मेरी ग़ज़लों ने थाम रखा है उसे, जैसे प्रेमिका की कोमल बाँहें हों।
हर शब्द, हर पंक्ति, उसकी तरह संजीदा है,
जैसे पहली मुलाकात का हर पल अमिट और प्यारा है।यह किताब नहीं, मेरे ख्वाबों की हकीकत है,
यह मेरी प्रेयसी है, मेरी पहली मोहब्बत है।
हाँ पहली मुहब्बत पर ये मुहब्बत मेरा साथ कभी नहीं छोड़ेगी क्यूँकि इसने अपने ऊपर मेरा नाम लिखा हैं ठाकुर प्रतापसिंह “राणाजी ” और कह रही है “नाम तेरा होगा ”
©ठाकुर प्रतापसिंह “राणाजी ”
सनावद (मध्यप्रदेश )