पहला प्रयास
असफल हो गया था मैं अपने पहले प्रयास में।
कुछ कमी आ गई थी तब मेरे आत्मविश्वास में।।
मैं डर गया था कि अब मुझसे नहीं हो पाएगा।
मेरी मंजिल मेरा सपना अधूरा रह जाएगा।।
लक्ष्य के पास होकर भी बहुत दूर खड़ा था मैं।
हार गया युद्ध जिसको जी-जान से लड़ा था मैं।।
फिर से आंखें चमक पड़ी आशा की किरण छाई।
मेरे गम को मिटाने फिर एक सुनहरी सुबह आई।।
लिया निर्णय एक बार फिर उतरूंगा मैदान में।
मंजिल पाने के लिए लगा दूंगा अपनी जान ।।
एक दिन तो ऐसा आएगा मेरी मेहनत रंग लाएगी।
चलते चलते ही सही मंजिल तो मिल जाएगी।।
कोई सपना अधूरा नहीं रहता अगर दिल में हो विश्वास।
कोई मंजिल नहीं छूटती अगर पाने का हो प्रयास।।
@प्रकाश