Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Oct 2017 · 1 min read

पहला पहला प्यार

?? ललित छंद??
पहला – पहला प्यार जगत में,
माँ का ही होता है।
भगवान जैसा प्यार माँ के,
प्यार से झलकता है।।
हर बच्चे का पहला रिश्ता,
माँ से ही जुड़ता है।
फिर किसी रिश्ते को बनाने,
के काबिल बनता है।।

वो प्रथम शब्द, पहला सरगम,
माँ की ही लोरी है।
कानों में जो मिसरी घोले,
माँ की ही बोली है।।
पहला आलिंगन, पहला छुअन,
माँ का ही होता है।
पहली थपकी, पहली चुंबन,
माँ का ही होता है।।

हर सही गलत का भेद प्रथम,
माँ ही समझाती है।
इस दुनिया में कैसे जीना,
हमको बतलाती है।।
माँ छोटी-बड़ी जरूरत का,
सदा ध्यान रखती है।
मेरी पसंद ना पसंद का,
जिसे ज्ञान रहती है।।

कभी शिक्षक,कभी चिकित्सक माँ,
आया बन जाती हैं।
माँ बच्चों के खातिर देवों,
से भी लड़ जाती हैं।।
औलाद के हर सितम को माँ,
हँस कर सह जाती हैं।
बच्चों के हर गलती को माँ,
माफी दे जाती हैं।।

दुनिया में जो रिश्ते बनते,
वो सब प्यारे होते।
सभी रिश्तों में सबसे बड़ा,
माँ का रिश्ता होता।।
तुम पहला प्यार उसे पूछो,
जिसे माँ नहीं होती।
माँ के ममता के खातिर जो,
आँखें हरदम रोती।

—लक्ष्मी सिंह ?

1 Like · 479 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
अहं का अंकुर न फूटे,बनो चित् मय प्राण धन
अहं का अंकुर न फूटे,बनो चित् मय प्राण धन
Pt. Brajesh Kumar Nayak
हौसला
हौसला
Sanjay ' शून्य'
वासना और करुणा
वासना और करुणा
मनोज कर्ण
दिल ये तो जानता हैं गुनाहगार कौन हैं,
दिल ये तो जानता हैं गुनाहगार कौन हैं,
Vishal babu (vishu)
मृदुलता ,शालीनता ,शिष्टाचार और लोगों के हमदर्द बनकर हम सम्पू
मृदुलता ,शालीनता ,शिष्टाचार और लोगों के हमदर्द बनकर हम सम्पू
DrLakshman Jha Parimal
कह पाना मुश्किल बहुत, बातें कही हमें।
कह पाना मुश्किल बहुत, बातें कही हमें।
surenderpal vaidya
नज़र बचा कर चलते हैं वो मुझको चाहने वाले
नज़र बचा कर चलते हैं वो मुझको चाहने वाले
VINOD CHAUHAN
भ्रातृ चालीसा....रक्षा बंधन के पावन पर्व पर
भ्रातृ चालीसा....रक्षा बंधन के पावन पर्व पर
डॉ.सीमा अग्रवाल
समय सीमित है इसलिए इसे किसी और के जैसे जिंदगी जीने में व्यर्
समय सीमित है इसलिए इसे किसी और के जैसे जिंदगी जीने में व्यर्
Shashi kala vyas
Though of the day 😇
Though of the day 😇
ASHISH KUMAR SINGH
बोझ लफ़्ज़ों के दिल पे होते हैं
बोझ लफ़्ज़ों के दिल पे होते हैं
Dr fauzia Naseem shad
तुम्हें अकेले चलना होगा
तुम्हें अकेले चलना होगा
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
"मनाने की कोशिश में"
Dr. Kishan tandon kranti
इस जग में हैं हम सब साथी
इस जग में हैं हम सब साथी
Suryakant Dwivedi
हरितालिका तीज
हरितालिका तीज
Mukesh Kumar Sonkar
रास्ते है बड़े उलझे-उलझे
रास्ते है बड़े उलझे-उलझे
Buddha Prakash
रिश्ते मोबाइल के नेटवर्क जैसे हो गए हैं। कब तक जुड़े रहेंगे,
रिश्ते मोबाइल के नेटवर्क जैसे हो गए हैं। कब तक जुड़े रहेंगे,
Anand Kumar
आखिर में मर जायेंगे सब लोग अपनी अपनी मौत,
आखिर में मर जायेंगे सब लोग अपनी अपनी मौत,
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
पड़े विनय को सीखना,
पड़े विनय को सीखना,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
कमरछठ, हलषष्ठी
कमरछठ, हलषष्ठी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
मोनू बंदर का बदला
मोनू बंदर का बदला
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बड़ा ही अजीब है
बड़ा ही अजीब है
Atul "Krishn"
कर्मों के परिणाम से,
कर्मों के परिणाम से,
sushil sarna
!! कुद़रत का संसार !!
!! कुद़रत का संसार !!
Chunnu Lal Gupta
हमने बस यही अनुभव से सीखा है
हमने बस यही अनुभव से सीखा है
कवि दीपक बवेजा
■ देसी ग़ज़ल
■ देसी ग़ज़ल
*Author प्रणय प्रभात*
आता है उनको मजा क्या
आता है उनको मजा क्या
gurudeenverma198
ऋण चुकाना है बलिदानों का
ऋण चुकाना है बलिदानों का
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जनता के हिस्से सिर्फ हलाहल
जनता के हिस्से सिर्फ हलाहल
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
Loading...