पहला दिन
आज मेरे विद्यालय में पांचवी कक्षा में मेरा पहला दिन था। सब कुछ नया था। सिर्फ दोस्त वहीं थे। नई कक्षा, नए अध्यापक/ अध्यापिकाएँ। मैं सुबह सुबह बहुत खुश होकर उठी। अंदर में उत्सुकता बहुत हो रही थी। मैं जल्दी – जल्दी तैयार हुई। तभी अचानक आसमान ने अपना रूप बदला। तेज तूफान के साथ बारिश बहुत तेज शुरू हो गई। मम्मी ने मुझे एक रैनकोट दिया और जाने कहा। मगर मुझे पता था की रैनकोट में मैं भींग जाती हूँ। इसलिए मैं छाता देने की जिद करने लगी। छाता तो नहीं ही मिला मगर मैं बस के लिए लेट भी हो गई थी। किसी तरह रैनकोट डालकर मैं बस स्टॉप पर पहुँच गई। भगवान का शुक्र था कि मेरी बस नहीं छूटी मगर मैं पूरी गीली हो गई। पूरा सड़क पानी से भरे होने के कारण मेरे जूते भी गीले हो गए। तभी हमारी बस आई। बस में चढ़ते ही बारिश थमने लगी। ऐसा लगा जैसे बारिश सिर्फ हम मासूम बच्चों को भींगाने आई थी। बस में चढ़कर कुछ देर अपने दोस्तों से गप्पे मारे। मेरी एक दोस्त बोली, ‘ ओह, अच्छा हुआ मैं भींगी नहीं। हा हा हा , तुम सब तो पुरे ही भींग गए। कोई बात नहीं सुख जायेगा। कुछ देर में हम विद्यालय पहूंचे। तभी फिर से टिप टिप बारिश ने अपना रूप बदल लिया। बारिश बहुत तेज होने लगी इस बार मैं बिना भींगे अपनी कक्षा तक पहुंच गई। मगर मेरी दोस्त जो हमारा मज़ाक उड़ा रही थी वो पूरी भींग गई। कक्षा में प्रवेश करते हीं मेरी सांसें चढ़ने लगी। यह देख कर की आधे घंटे के लिए दो सेक्शंस को एक साथ बैठना पड़ेगा। तभी कुछ देर बाद हमारे कक्षा में घोषणा हुई की हम सभी को अलग अलग बाँट दिया जायेगा। मेरे कई दोस्तों को अलग सेक्शंस में दाल दिया और हम सब एक दुसरे बिछड़ गए। फिर हमारी क्लासेस शुरू हुई। पहला पीरियड मैथ्स का था। मेरी सबसे पसंदीदा टीचर दपिंदर मैम हमारी मैथ्स की अध्यापिका बनी। सभी सब्जेक्ट्स की टीचर मुझे बहुत अच्छी लगी। मनोरंजन में बहुत कुछ जुड़ा। हम लोग स्कूल के क्लब्स का चुनाव करेंगे। मैंने तो द लिट्रेसी क्लब चुना। इस क्लब में बच्चे अपनी मन पसंदीदा कहानी पढ़ सकते हैं और उन्हें लिटरेचर की ओर बहुत बढ़ावा मिलता है। अब हम सब साइंस लैब भी जा सकते हैं। मैं तो बहुत उत्सुक हूँ ये सभी नई चीज़े करने के लिए।
वेधा सिंह