पहला कदम…
पहला कदम जब हमारा,
कोख के बाहर आया ,
सांस लेना लगी गलती,
और दर्द फुटकर रोया…
रो रो के हुए हम लाल,
माँ का दिल मुस्कुराया,
उस दिन के बाद बेटा,
तेरा हर गम मैंने पाया…
लाख दुवाँए देती रही वो,
मैं उसके आचल में खोया,
धुप में खडी रही वो,
उसकी छाँव में मेरा साया…
जिंदगी की शुरवात की जब,
हर मोड़ पे रोना आया,
उसने संभाला था हर वक्त ,
तभी तो जिने का सलीका आया…