पहचान
मन मेरा चाहत तुम्हारी, दिल मेरा अरमान तुम्हारा।
आंख मेरी आंसू तुम्हारे, जिस्म मेरा सांसे तुम्हारी।
फिर भी वो कहते हैं कि हम पहचान ना पाए तुम्हें ।
कोई जाकर पूछे तो उनसे कि अब भी कुछ बाकी था जो पहचान ना पाए तुम हमें।।
मन मेरा चाहत तुम्हारी, दिल मेरा अरमान तुम्हारा।
आंख मेरी आंसू तुम्हारे, जिस्म मेरा सांसे तुम्हारी।
फिर भी वो कहते हैं कि हम पहचान ना पाए तुम्हें ।
कोई जाकर पूछे तो उनसे कि अब भी कुछ बाकी था जो पहचान ना पाए तुम हमें।।