पहचानो तुम मन की शक्ति
सृष्टि की अंधी दौड़ भाग
जीवन में लगी हुई आग
हो तुम मानव मन की प्रीत
रच लो मौन राग का गीत
छोड़ो झूठी यह आसक्ति
पहचानो तुम मन की शक्ति
मन की बन जाओ तुम जीत
मौन रागों का रचो गीत
निर्बल .का तू बन आधार
पहचान बनो तुम साकार
छोड़ दो व्यर्थ की अनुरक्ति
पहचानो तुम मन की शक्ति
दुखियों के नैनो का नीर
जानों औरों की तुम पीर
तुम मरहम बनो नहीं तीर
न बनो बाटती जो लकीर
मानवता की ही हो भक्ति
.. पहचानो तुम मन की शक्ति