पसीने वाली गाड़ी
घर जाने की जल्दी,
ढलती शाम के साथ
ढलती शाम और बढ़ता चार्ज…
लेकिन यह भी तो सच है कि
टैक्सी का ईंधन
महँगा है बहुत
तभी निगाह गयी….
सड़क किनारे, बिना ईंधन
पसीने से चलने वाली गाड़ियां
लाइन से खड़ी थीं
खाली भी थीं सब की सब
सोचा चलो आज जल्दी नहीं
थोड़े आराम से
इस पसीने वाली गाड़ी से ही
चलते हैं
सिर्फ पसीना, धुआँ नहीं
वो भी जलेगा नहीं, सिर्फ बहेगा
और महँगा भी नहीं है
इसका कोई शेयर बाजार जो नहीं है
इतनी जल्दी तो उछाल आने की
सम्भावना भी नहीं….
बस पेट भरने की नन्हीं सी आस ही तो है।