पवित्र रिश्ता
पवित्र रिश्ता
जब प्यार के पावन बंधन में
एक बहना बंध जाती है ।
साजन के घर आंगन में
कलियों सी खिल जाती है ।।
बाबुल का घर सूना हो जाता
ससुराल की रौनक बढ़ जाती है ।
रिश्ते बदले मायके के सब
ससुराल में अब ढल जाती है ।।
एक प्यारी बेटी बहना से
भाभी बहुरानी कहलाती है ।
जब प्यार के पावन बंधन में
एक बहना बंध जाती है ।।
हाथों पर मेहंदी जब सजती
माथे पर बिंदिया लगती है।
लाल चूड़ियां पहन हाथ में
जब खनक खनक खनकाती है ।।
पांवों में महावर शोभायित
सिन्दूर मांग में सजती है ।
सात जन्म संग रहने के
फेरे सातों तब लेती हैं ।।
हो श्रृंगारित फिर वह बहना
घर साजन के आ जाती है।
जब प्यार के पावन बंधन में
एक बहना बंध जाती है।।
अरमान नए कुछ ख्वाब लिए
बहना पियघर आ जाती है ।
साजन को खुश रखने का
संकल्प सदा दोहराती है ।।
जब प्यार के पावन बंधन में
एक बहना बंध जाती है ।
जब देवर मिलते भैया जैसे
चंचल सी ननद ज्यों बहना सी ।।
मैया के आंगन की तुलसी
ससुराल की छाया बनती है।
जब प्यार के पावन बंधन में
एक बहना बंध जाती है।।
युवा कवि / लेखक
( गोविन्द मौर्या – प्रेम जी )
सिद्धार्थ नगर , उत्तर प्रदेश