#पवन पर कब पहरा दोगे
✍️
★ #पवन पर कब पहरा दोगे ★
इन दिनों चित्त चितरे भगवान बहुत
मांगे सबका कल्याण बहुत
सांसों की सरगम व्यवधान बहुत
मायावी मल्ल बलवान बहुत
अपने तरकस में बाण बहुत
रण में उतरेंगे सब योद्धा
सांकल खड़काओ किवाड़ों के
ताले खोल दो बंद अखाड़ों के
बरगद एक हों पीपल चार
नीम उगावें बारंबार
तुलसी अमृता भीनी बयार
रक्तिम आंखें हिरदे शिष्टाचार
संस्कृति सनातन अंतिम प्रहार
सूरज जलता तपती धरती
रंग दूजे हैं जाड़ों के
ताले खोल दो बंद अखाड़ों के
गिल्ली डंडा खोज निकालो मीत
सांझसवेरे प्राणसमीरसंग प्रीत
कंचे कंदुक लंबी घोड़ी पीठ
पल में हार और पल में जीत
बिन शब्दों के सुरीले गीत
बिना दाम तन खिला मिले
मुंह तोड़ें रोगभंभाड़ों के
ताले खोल दो बंद अखाड़ों के
जेठ आषाढ़ में नाचे मोर
मच रहा गली गली में शोर
कौन खड़ा है किसकी ओर
अंधी रातें और कानी भोर
जनधनगठरी में लागा चोर
आंख कान खुले मुंह बंद रहें
तब ही मूल मिटें झंखाड़ों के
ताले खोल दो बंद अखाड़ों के
सदियों लंबी अंधियारी रात
प्राची अभी अधखिला उजास
मानवशत्रुमन मच उठा त्रास
अभी नहीं हुई परभात
होने लगे घात पर घात
उठ मनु के वंशज उठ
लघुता को पहुंचें दर्प पहाड़ों के
ताले खोल दो बंद अखाड़ों के
शव अपनों के उठा लोगे
आंसू जो शेष बहा लोगे
मौन से मन को मना लोगे
माना सुर नया सजा लोगे
पवन पर कब पहरा दोगे
आतापि वुहान वातापि आखेटथान
बातों से न सुधरें भूत लथाड़ों के
ताले खोल दो बंद अखाड़ों के
भीतर घुसकर मारो ऐसा
नहीं क्रम टूटें फिर धाड़ों के
ताले खोल दो बंद अखाड़ों के . . . !
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२