पवन-डाकिया
पवन-डाकिया
पवन-डाकिया
लेकर आया
खुले गाँव की मधुरिम गंध
मिलने पहुँचे
नदी किनारे
तोड़-ताड़ तरलित तटबंध
तितली फिसली
भँवरे भटके
बिछुड़ चुके पुलकित मकरंद
धोखा खायीं
विचलित लहरें
करके चिपचिप फाटक बंद
हटा चुकी है
धूप धुआँसी
पहरा का विकिरक प्रतिबन्ध
नल पर पाँवों
को धोया है
भिगा पसीना तन का पानी
चूनर धानी
उठा रही है
पहुँच शाम घर ढही पलानी
धूल उड़ी है
छिड़क रहा जल
अतिथि अमी मृदुता-संबंध
सडकें पहुँचीं
काँवड़ लेने
सँवरी-सँवरी शिव की काशी
मानसून भी
परचा भरने
पहुँच चुका केरल से काशी
मौसम भी कुछ
रंग बदलता
तोड़ सभी पिछले अनुबंध
शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’
मेरठ