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5 Jun 2023 · 1 min read

पर्यावरण दिवस

पवन, अरण्य जल, विरवे, सागर
नदी व ध्वनि का तरंग।
सकल धरा पर जो कुछ निर्मित,
पर्यावरण का अंग।

एक दूजे के पूरक है ये,
सब हैं बहुत जरूरी।
अगर संतुलन रहे न एक सम,
फिर विपदा मजबूरी।

सारे जड़ चेतन प्राणी गण,
पर्यावरण के साथ।
छेड़छाड़ करने में केवल,
मानव जन का हाथ।

हवा बिगाड़ा, नीर बिगाड़ा,
काट दिया सब वन।
धुंआ धुंआ कर किया विषैला,
पर्यावरण है सन्न।

वैज्ञानिक इतना कुछ खोजा,
सहज रीति हुई मन्द।
प्रकृति कराह रही है अब तो,
पैकेट में सब बंद।

एक वतन दूजे से रूठा,
सबमें रार ठना है।
अणु बम का भंडारण बढ़ गया,
नाश का द्वार बना है।

पर्यावरण को ऐसे सेवो,
अंड ज्यों सेवे परिंदा।
सुधी जनों जल्दी से चेतो,
तभी बचेंगे जिंदा।

एक नमूना दिया करोना,
हुआ था चक्का जाम।
अभी समय है जल्दी जागो,
नहीं तो काम तमाम।

केवल नारा काम न आये,
अमली जामा धारो।
पर्यावरण दिवस मंगल मय,
शुभकामना हमारो।

सतीश सृजन

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