पल दो पल का साथ तुम्हारा..अच्छा है
पल दो पल का साथ तुम्हारा..अच्छा है
तुम हो तो संसार ये सारा…….अच्छा है
बैठा हूँ बारूद पे………मन में दहशत है
पर वादी का यार…….नजारा अच्छा है
सारी दुनिया जीत ली जिसने..चुटकी में
वो भी अपने आप से हारा…..अच्छा है
खारा बनूँ समंदर………..ये मंजूर नहीं
मीठी दरिया की हूँ धारा……..अच्छा है
करते रहते वार पीठ पर…….खंजर का
लेकिन फिर भी भाईचारा……अच्छा है
काश्मीर पर कब्जा रहे……..तिरंगा का
नीलगगन में चाँद-सितारा……अच्छा है
मजहब की दीवार खड़ी आँगन फिर भी
एक हैं हम सब यार ये नारा….अच्छा है
अब तक लहरों से है जूझ रहा ‘संजय’
तुमको तो मिल गया किनारा..अच्छा है