पल्लू
चुनरी के पल्लू में बंधी
कुछ यादों का खोलना
कुछ सपने बुने थे….
खिड़की से चांद देखना
सुख- दुख की फसल उगी
हर मौसम के फल देखना
खुशी की लहरें, हंसी के फुहारे
हवा का आना- जाना देखना
बूंदों का गिरना, बे मौसम….
आसमान में तारों को देखना
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शीला गहलावत सीरत
चण्डीगढ़, हरियाणा