पलक भिगा कर
पलक भिगाकर ओ प्रिये , अश्रु बरसाती प्रीत।
अंतर्मन की पीर को ,दर्शाने की रीत ।
बचपन बीता गोद में, अद्भुत नन्हे बोल।
खुशियों से झोली भरुँ, ओ मेरे मन मीत।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
पलक भिगाकर ओ प्रिये , अश्रु बरसाती प्रीत।
अंतर्मन की पीर को ,दर्शाने की रीत ।
बचपन बीता गोद में, अद्भुत नन्हे बोल।
खुशियों से झोली भरुँ, ओ मेरे मन मीत।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम