पलक झपकते हो गया, निष्ठुर मौन प्रभात ।
पलक झपकते हो गया, निष्ठुर मौन प्रभात ।
करनी थी उनसे अभी, पागल दिल की बात ।
खामोशी के दौर में, साँसों का था शोर –
मधुर मदन आवेग में , बहक गए जज्बात ।
सुशील सरना / 17-2-24
पलक झपकते हो गया, निष्ठुर मौन प्रभात ।
करनी थी उनसे अभी, पागल दिल की बात ।
खामोशी के दौर में, साँसों का था शोर –
मधुर मदन आवेग में , बहक गए जज्बात ।
सुशील सरना / 17-2-24