जिसे पलकों पर बिठाया ,वहीं काट खाने को आया!!
हे जिनपिंग तूने यह क्या करवाया,
पहले विषाणु से सारे जग को रुलाया,
अब तूने सैनिकों को मरवाया,
तूझे मानवता की परवाह नहीं है क्या?
हमने पिछले घावों को भुलाया था,
तुझसे मित्रता का हाथ बढ़ाया था,
अपनी सीमाओं की सुरक्षा में,
तेरी, छोटी-छोटी सी बातों पर,
अपना ध्यान नहीं धराया था!
मित्र समझ कर हमने तुझको,
अपने देश में बुलाया था,
सर-आंखों पर तुझे बिठाकर,
झूला भी खूब झूलाया था,
अपने मनोरम स्थलों पर ले जाकर,
तेरा मान सम्मान बढ़ाया था।
लेकिन तू तो है कुत्ते की दुम,
टेढ़ी की टेढ़ी बनी रहती है,
चाहे लाख जतन कर लो,
वह सीधी कभी होती नहीं है।
तुने क्या समझा,
हम इसे हल्के में ले लेंगे,
ऐसी घटनाओं को,
हम चुप-चाप सह लेंगे,
इसका एक नमूना तो तूने देख ही लिया है,
निहत्थे अपने सैनिकों ने,
लहू लूहान तुमको भी किया है,
चाहे इसमें वह अपनी जान गंवा चुके हैं,
किन्तु तुमको भी सबक सिखा चुके हैं।
यह अभी ट्रैलर है इनका,
देखा नहीं तूने हौसला इनका,
तेरा जो पिछलग्गू है,
पाकिस्तान नाम जिसका है,
उससे ही पता कर लेता,
क्यों नहीं वह हमसे सीधे है लडता,
तीन-तीन युद्ध हमसे हारा है,
इस लिए सामने से आने का साहस नहीं जुटा पाता है।
लेकिन लगता है तूझे मुगालता हो रखा है
तू आज भी बासठ की यादों में खो रखा है,
परन्तु आज हम दो हजार बीस के साल में हैं,
भारत में अब बासठ वाले हाल नहीं हैं,
ना अब हम ,तुम्हारे झांसे में आएंगे,
और ना ही अब एक इंच जमीन को,
तूझे यों ही छोड़ के जाएंगेे,
अब तो, एक-एक इंच जमीन का हिसाब लेना है,
तुझको अब ऐसे ही नहीं छोड़ देना है,
हमारे लोकतंत्र को तू कमजोर समझा है,
यहां पर विरोध में भी, एक जुटता है,
तेरी तरह यहां पर विचारों की हत्या नहीं होती,
मतदान करके हमारी सत्ता चलती है,
एक दूसरे का खूब विरोध हम करते हैं,
लेकिन देश की आन-बान को एकजुट रहते हैं।
अब भी यदि तू ना चेता,
तो सोच ले क्या बुरा हाल होगा तेरा बेटा,
तेरी चौधराहट अब नहीं चलने वाली,
तेरी करतूतों की कीमत, है तुझको ही चुकानी,
विश्व समुदाय से तुझको कुछ नहीं मिलेगा,
वह तूझे क्यों कुछ देंगे, जिन्हें तू ऐसे छलेगा,
हमने तो गैरों पर रहम किया है,
पर बदले में कुछ भी नहीं लिया है,
हम ईश्वर को मानने वाले हैं,यह तो तू जानता है,
और ईश्वर की कृपा से,हर बाधा को पार किया है,
इस घड़ी से भी हम पार पा जाएंगे,
जो ठान लिया है, तो तूझे जरुर हराएंगे।।