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31 Oct 2022 · 2 min read

” पर्व गोर्वधन “

” पर्व गोर्वधन ”
श्री कृष्ण और मां यशोदा की वार्ता
श्री मदभागवत गीता ने हमें बताया
क्यों नहीं पूजते गोवर्धन, गौ माता
कृष्णा ने था ब्रजवासियों को चेताया,
ब्रज में था कोई पूजन कार्यक्रम
ब्रजवासी सभी तैयारियों में जुटे थे
कान्हा पूछे यशोदा से हे री मां
किसकी तैयारी ब्रजवासी कर रहा,
उत्सुकता देख यशोदा भी मुस्कुराए
आज सब इंद्र देव की पूजा कर रहा
मुरारी चिंतित स्वर में कहे क्यों री मां
इंद्र देव को क्यों आज पूजा जाता,
यशोदा बोली वर्षा करते इंद्र देव
वर्षा से अन्न का भंडार है भरता
गौ माता का चारा होता हरा भरा
इसीलिए इंद्र देव आज पूजा जाता,
ये तो है फर्ज़ इंद्र देव का कान्हा कहे
वर्षा करने के लिए काहे को इतराए
गोर्वधन पर्वत की होनी चाहिए पूजा
गऊ माता को चारा उपलब्ध कराता,
आसमान के ही एक कोने में बैठकर
इंद्र देव देख रहे थे वो सारा नजारा
मुझे छोड़ ये पूजेंगे गोर्वधन पर्वत
इंद्र देव नाराज होकर बरसने लगा,
अहंकार तोड़ने के लिए इंद्र देव का
वासुदेव ने था गोवर्धन पर्वत उठाया
कोहराम मचाते ब्रजवासियों को
मूसलाधार वर्षा से कान्हा ने बचाया,
कान्हा से माफी मांगी थी इंद्र देव ने
इंद्र देव को गलती का अहसास कराया
गोर्वधन पर्वत पूजा तभी से शुरू हुई
अन्नकूट और गोवंश की महता दर्शाता,
गोर्वधन पर्वत की परिक्रमा करते भगत
लोगे ने आज भी इस परंपरा को निभाया
परिक्रमा से मिलता कन्हैया का आशीर्वाद
अन्नकूट 56 भोग भगवान को लगाया जाता,
गोवर्धन पूजा का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल
पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता
घर की दहलीज पर गोबर का पर्वत बनाकर
गायों और बैलों को भी भोग लगाया जाता।

Dr.Meenu Poonia

Language: Hindi
1 Like · 280 Views
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