पर्वत दे जाते हैं
दृढ़ता से सीधे खड़े एक पर्वत ने, भारतवासियों को संदेश दिया है।
इच्छा, सुरक्षा, साहस व प्रतीक्षा, पर्वत ने इन सबका भेष लिया है।
इनके अटूट साहस की कथा, चलो आज इस संसार को सुनाते हैं।
ये समय कैसे हो गया विलय, गति की सूचना भी पर्वत दे जाते हैं।
शैल, औषधि व मौसम से जुड़े, हर अध्ययन का आधार तुम्हीं हो।
भूमि व ऋतु का बदलाव तुम्हीं, स्वयं प्रकृति का विस्तार तुम्हीं हो।
पर्वत ही प्रकृति का निवास स्थल, ये बात भू-वैज्ञानिक बतलाते हैं।
ये समय कैसे हो गया विलय, गति की सूचना भी पर्वत दे जाते हैं।
ऊँचे पर्वत, जब लेते हैं करवट, ये हर प्रहरी को उत्साहित करते हैं।
शत्रु को ऊँचाई से नित डराते, पर्वत एक देश को सुरक्षित करते हैं।
सीमाओं की रक्षा करते हुए, सैन्य दल में नाम अपना लिखवाते हैं।
ये समय कैसे हो गया विलय, गति की सूचना भी पर्वत दे जाते हैं।
कभी साहसी खेलों का मंच, खिलाड़ियों का विश्वास बन जाता है।
कभी आस्था का केंद्र रहे, केदारनाथ संग में कैलाश बन जाता है।
असीम शक्ति व प्रगाढ़ भक्ति के अद्भुत दर्शन प्रतिदिन करवाते हैं।
ये समय कैसे हो गया विलय, गति की सूचना भी पर्वत दे जाते हैं।
यदि देखा जाए तो हर पहाड़, एक अनकही कहानी दबाए बैठा है।
सेवा, साधना व सुरक्षा के साथ, स्वयं में समय को मिलाए बैठा है।
निस्वार्थ भाव से सेवा करते हुए, ये अपना नाम अमर कर जाते हैं।
ये समय कैसे हो गया विलय, गति की सूचना भी पर्वत दे जाते हैं।
अब तो प्रगति की अंधीदौड़ में, सृजन की आड़ में विनाश हुआ है।
एक प्राणी ने कई प्राण छीनें, हर सम्भव स्तर का सर्वनाश हुआ है।
प्रदूषण की प्रताड़ना भी झेलें, जीवित शवों का बोझ भी उठाते हैं।
ये समय कैसे हो गया विलय, गति की सूचना भी पर्वत दे जाते हैं।