कितना सुंदर जमाना था
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कितना सुंदर जमाना था,
तब मौसम बड़ा सुहाना था।
पेड़-पौधों से भरी धरा,
साथ हरियाली का खजाना था।
शुद्ध पानी, शुद्ध हवा,
शुद्ध खाने का हर दाना था।
वन-उपवन में, घर-आँगन में,
रंग-बिरंगी पक्षियों का चहचहाना था।
अल्हड़-अलमस्त,पुष्प लता का
मंद-मंद मुस्कुराना था।
स्वास्थ्य शक्ति पूर्ण वसुंधरा,
तब सुखमय प्यारा-प्यारा था।
स्वार्थवश मानव ने
पर्यावरण संतुलन बिगाड़ा है।
जागो मानव यत्न करो,
वृक्षारोपण, जन जागरूकता
पर्यावरण संरक्षण काम हमारा है।
????—लक्ष्मी सिंह?☺