पर्यावरण बचाओ
देख आदमी की मनमानी,पेड़ों ने इक सभा बुलाई।
बिना दोष काटे जाते हम ,इसे रोकना होगा भाई।
बरगद पीपल तात हमारे, प्राणवायु के ये वाहक है।
देवदार सागौन चीड़ सब ,इस जीवन के संरक्षक है।
अन्न फूल फल मेवा देते, मगर न हम कुछ भी लेते हैं।
बारिश हो या धूप तुम्हें हम, अपनी ही छाया देते हैं।
तना खाल जड़ पात हमारे, सब उपयोग किया करते हो
हमसे ही तुम दवा बनाकर, कितने रोगों से बचते हो
हम भी धरती के बालक हैं , जान हमें भी तो प्यारी है।
हम पर होते जुल्म देखकर,धरती माँ का दिल भारी है।
तभी आपदाएं ले आती, कुपित धरा जब हो जाती है
मानव तुमको बात समझ में ,मगर न फिर भी आ पाती है
दिया है जो कुछ भी कुदरत ने ,मानव सम्पदा तुम्हारी है।
पर्यावरण बचाना भाई, तुम सबकी जिम्मेदारी है।
22-10-2018
डॉ अर्चना गुप्ता