पर्यावरण दिवस या विवश?
पर्यावरण विवश!!!
विश्व स्तर पर फैला प्रदूषण, कर पर्यावरण को विवश।
देखो,मात्र कुछ वृक्ष लगाकर, मन रहा पर्यावरण दिवस।
ये तो वही बात हो गई कि माँ को समय पर दवा दिलवाईं ना।
देहांत पर बिलख रो सन्तति बोले, माँ मुझे छोड़ कर जाई ना।
प्राकृतिक आपदा-विपदाओं ने हमको है हर बार दर्पण दिखाया।
पर उन्नति विकास होड़ में हमने,स्व को पूर्णतः कंक्रीट बनाया।
चल उठ!कर पैदा झंकार हृदय में, कि सब लक्ष मिल यह साधें।
वृक्षारोपण को बना जेवड़ी,चल मिल पग बैरी प्रदूषण के बाँधे।
मिसाल हो बेमिसाल मनु, ऐसी करनी होगी प्लानिंग।
माइक्रो फॉरेस्ट हर नगर लगाकर,मिलेगी नव मॉर्निंग।
प्रदूषित निष्प्राण नदियों को भी, नव श्वास देंगे वन उपवन।
जंगल प्रकृति का अनमोल करिश्मा,रखें संतुलित पर्यावरण।
विक्राल प्रदूषण से निपटने खातिर,लगाओ ग़र छोटे छोटे जंगल।
शुद्ध श्वास मिले सर्व प्राणी जगत को, होगा कंक्रीट में भी मंगल।
प्रदूषित अशुद्ध वायु सुनो वातावरण में है नित ही बढ़ती जा रही।
अशोक,कदंब,शीशम आदि हितैषी तरु संख्या भी घटती जा रही।
इमली,बेल,जामुन,बेर,गूलर,खैर,शहतूत,बढ़हल,शरीफा हैं दक्ष।
खिन्नी, नीम, बरगद, अर्जुन आदि अति बहुउपयोगी हैं फल वृक्ष।
सूक्ष्म वन स्वरूप में वसुधा पर, चलो सजाएँ विटप गुलदस्ता।विलुप्त प्रजाति तरु लगाके खुलेगा,नव पीढ़ी का स्वच्छ रस्ता।
आबादी के बीच कर वृक्षरोपण,चलो हरित करें बंजर भूमि वक्ष।स्वलाभ लालच को तज नीलम,साधो पर्यावरण संरक्षण का लक्ष।
नीलम शर्मा…..✍️