पर्यावरण दिवस की बधाईयाँ “व्यंग्य”
आज पूरे दिन लगा रहा पर्यावरण दिवस
की बधाइयों का तांता,
मोबाइल की मेमोरी भर गई छोटे- बड़े
पेड़-पौधों से।
क्या नही कटेंगे पेड़-पौधे कल से,
आज खोया रहा पूरे दिन इसी
उधेड़बुन में।
जो भी कर रहा था आज पेड़ों के संरक्षण
की मांग,
क्या अभी से कम कर देगा पर्यावरण
संसाधनों का दोहन।
एक दिन में नही होगा पर्यावरण का
संरक्षण,
पूरे विश्व को मनाना पड़ेगा हर रोज
पर्यावरण दिवस ।
पूरे साल हम पेड़-पौधे काटते जाएंगे,
5 जून को मोबाईल पर पर्यावरण
दिवस मनायेगे।
अगर ऐसे ही चलता रहा प्रदुषण का
खेल,
तो अस्तित्व विहीन हो जाएगा प्राकृत
और मानव का मेल।
कभी हुआ करते थे प्राकृत के
उपासक,
आज क्यों गए हम राक्षस।
वायु-जल-ध्वनि प्रदूषण से पाना
है निजात,
तो बचाना होगा प्रकृति का होने से
विनाश।
जिस दिन वायु-जल-ध्वनि प्रदूषण
से मुक्त होगा जगत,
सही मायनों में उस दिन मनेगा
पर्यावरण दिवस।
(स्व रचित) आलोक पांडेय गरोठ वाले