पर्यावरण दिवस पर विशेष गीत
कितनें दिन हो गए,खुल कर हँसें हुए,याद नहीं
कितनें दिन हो गए,हवा में झूलें हुए,याद नहीं
कितनें दिन हो गए,दराज़ों में कैद हुए,याद नहीं
कितनें दिन हो गए,बहारों से मिलें हुए,याद नहीं
कितनें दिन हो गए,सहर का सूरज देखें हुए,याद नहीं
कितनें दिन हो गए,शज़र को छुए हुए,याद नहीं
कितनें दिन हो गए,कोई गीत गाये हुए,याद नहीं
कितने दिन हो गए,दरिया में नहाए हुए,याद नहीं
कितनें दिन हो गए,नींद से जागे हुए,याद नहीं
कितनें दिन हो गए,प्रेम में भींगे हुए,याद नहीं
हर बार सोचता हूँ खुल कर जीने के लिए फ़ज़ाओं में
मग़र कब निकला गुलों को देखनें के लिए,याद नहीं
ज़िंदगी खंडहर हो गईं,सजती इमारत में अपनी
कितनें दिन हो गए,इनसे निकलें हुए,याद नहीं ।।
©बिमल तिवारी “आत्मबोध”
यायावर लेखक अल्हड़ कवि
देवरिया उत्तर प्रदेश