((((पर्दे))))
खामोशियां ज़िंदगी की खामोश ही रहने दो,
उठे पर्दे परेशान करेंगे.
किसने क्या किया मुँह बंद ही रखो,
लोग बेईमान कहेंगे।
ये ताने करते हैं बहुत परेशान,
राज गहरे राज ही रहने दो,
कब तक ये बाण सहेंगे.
हर नजर की हैं यहां नियत बुरी,
दर्द दिखायोगे तो जिस्म पर दाग बनेंगे।
क्या दिखायोगे दिल की आग किसे,
जलती आग में भी शिकारी जाल बुनेंगे।
ये अंगारे जो तुमारे सीने पर जलते है खुद ही बुझा लो,
ये दौर बुजदिली का है सब रूह पर घाव करेंगे।