परोपकार की देवी मदर टेरेसा
परोपकार की देवी मदर टेरेसा
26 अगस्त 1910 का दिन था वो
मासूम सी खिली थी एक कली
नाम पड़ा अगनेस गोंझा बोयाजियू
जो थी अल्बेनियाई परिवार की लाडली
बचपन से ही बेहद परिश्रमी
अध्ययनशील शिष्टाचारी लड़की
स्वभाव से थी हृदय वत्सला
पसंद थी गिरजाघर में गायिकी
बारह वर्ष की नन्हीं सी उम्र में
मानव सेवा का प्रण ले ली
अट्ठारह की ही उम्र थी जब
सिस्टर्स ऑफ लोरेटो में शामिल हो ली
आगमन हुआ जब भारत में उनका
धन्य हो गई भारत की धरती
मदर टेरेसा नाम पड़ा यहाँ पर
ममतामयी थी रोमन कैथोलिक सन्यासिनी
1950 में कोलकाता में मानव सेवा के लिए
मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की
जीवन के आखिरी पड़ाव तक नि:स्वार्थ भाव से
गरीब बीमार अनाथों की सहायता की
सामाजिक तिरस्कार का दंश झेलते
लोगों की भी सुध लेती थी
जो हार चुके थे जीवन से
उनके लिए भी परोपकार की देवी थी
शब्दों से नहीं होती सेवा
कर्म ही इसकी पहचान बतलाती थी
प्रेम भाव पूर्ण समर्थन ही मर्म है
सेवा धर्म की इसे जान बतलाती थी
मानव कल्याण के लिए नोबेल पुरस्कार मिला
पद्मश्री भारत रत्न से नवाजी गई
5 सितंबर 1997 को देहावसान हुआ
2016 में पोप ने संत की उपाधि दी
– आशीष कुमार
मोहनिया, कैमूर, बिहार
मो० नं०- 8789441191