परेशान तन है ……..
परेशान तन है
बेचैन मन है
उलझन में जान है
बहुत परेशान है
पत्तो सा टूट रहा हु
किसी बंधन सा छूट रहा हु
तिल-तिल मर रहा हु
घुट-घुट कर जी रहा हु
कुछ ना किया तो हार है
कुछ किया तो जीत कर भी हार है
कैसी ये मजधार
आँखों में आँशु की धार है
मन बहुत परेशान है।(अवनीश कुमार)