परी
आसमान से उतरी परी
ठिठकी सहमी डरी डरी
सीधी सच्ची भोली भाली
चतुर जगत से गई छली
अजब गजब दुनिया के रंग
नित नए निराले लोगों के ढंग
नकली नोटों जैसी फितरत
लगती दिखती खरी खरी
जाने किस दुनिया से आई
इस जग की तो नहीं लगी
सब को समझ बैठी खुद जैसा
बस इसी बात पर गई ठगी
पीङा के सागर को तिर कर
लहूलुहान कलेजा ले कर
फिर न आने की कसमें खा कर
आज वो अपने देश चली