परीक्षा
परीक्षा शब्द के श्रवण से
परीक्षार्थी के हृदय में
उत्पन्न होता कम्पन,
सहसा मस्तिष्क में
कौंध उठता यक्ष प्रश्न !
यह वृहद् कार्य किस प्रकार
कर पाऊँगा मैं सम्पन्न ?
अधीर हो उठता मन –
“जो पढ़ा-लिखा पर्याप्त होगा ?
प्रश्नों का उत्तर स्मरण रहेगा ?
प्रश्नों की क्या परिपाटी होगी ?
गणित की समग्र विधि आती होगी ?”
समय अन्तराल के पश्चात
हृदय की व्यग्रता होती शान्त ।
शनैः शनैः स्वयं पर होता विश्वास
उत्तम करने की जगती आस ।
समक्ष जब आता प्रश्न-पत्र,
ध्यान न जाता अन्यत्र ।
जो प्रश्न होते चिर -परिचित
तो लिखने को आतुर होते हस्त ।
क्रमशः सभी विषयों का आता दिन,
परीक्षा के वे दिन होते बडे़ कठिन ।
परीक्षा के माध्यम से हम जाते जान,
किस विषय का हमको कितना ज्ञान !
धैर्य, स्मरण व लेखन का बोध,
परीक्षा अन्तर्मन का दूर करती गतिरोध ।