Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Feb 2024 · 1 min read

परीक्षा

परीक्षा

निकट आता है जब
परीक्षा का सीजन
बढ़ जाता है तब
बच्चों का टेंशन
परीक्षा के नाम से
होते हैं सब परेशान ।
कभी होता है पेट में दर्द
तो कभी होता है सरदर्द
खोजते हैं तब बाहरी मदद ।
बहाने बाजी छोड़ो भाई
मेरा कहना मानो सभी
शुरू कर दो अभी से पढ़ाई ।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़

151 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
" कू कू "
Dr Meenu Poonia
दिल से बहुत बधाई है पोते के जन्म पर।
दिल से बहुत बधाई है पोते के जन्म पर।
सत्य कुमार प्रेमी
🙅एक सच🙅
🙅एक सच🙅
*प्रणय*
2736. *पूर्णिका*
2736. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अब नये साल में
अब नये साल में
डॉ. शिव लहरी
मैं मधुर भाषा हिन्दी
मैं मधुर भाषा हिन्दी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
वेला है गोधूलि की , सबसे अधिक पवित्र (कुंडलिया)
वेला है गोधूलि की , सबसे अधिक पवित्र (कुंडलिया)
Ravi Prakash
प्रेम के दो  वचन बोल दो बोल दो
प्रेम के दो वचन बोल दो बोल दो
Dr Archana Gupta
"अनन्त "
Dr. Kishan tandon kranti
वक्त ये बदलेगा फिर से प्यारा होगा भारत ,
वक्त ये बदलेगा फिर से प्यारा होगा भारत ,
Neelofar Khan
आग से जल कर
आग से जल कर
हिमांशु Kulshrestha
लेकिन मैं तो जरूर लिखता हूँ
लेकिन मैं तो जरूर लिखता हूँ
gurudeenverma198
देखिए लोग धोखा गलत इंसान से खाते हैं
देखिए लोग धोखा गलत इंसान से खाते हैं
शेखर सिंह
जीवन में
जीवन में
ओंकार मिश्र
खुश मिजाज़ रहना सीख लो,
खुश मिजाज़ रहना सीख लो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दुनिया के डर से
दुनिया के डर से
Surinder blackpen
ज़िंदगी का खेल है, सोचना समझना
ज़िंदगी का खेल है, सोचना समझना
पूर्वार्थ
फिर मिलेंगें
फिर मिलेंगें
साहित्य गौरव
इस दुनिया की सारी चीज भौतिक जीवन में केवल रुपए से जुड़ी ( कन
इस दुनिया की सारी चीज भौतिक जीवन में केवल रुपए से जुड़ी ( कन
Rj Anand Prajapati
काम क्रोध मद लोभ के,
काम क्रोध मद लोभ के,
sushil sarna
..........लहजा........
..........लहजा........
Naushaba Suriya
वो लिखती है मुझ पर शेरों- शायरियाँ
वो लिखती है मुझ पर शेरों- शायरियाँ
Madhuyanka Raj
मेरी लाज है तेरे हाथ
मेरी लाज है तेरे हाथ
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
निकलो…
निकलो…
Rekha Drolia
उम्दा हो चला है चाँद भी अब
उम्दा हो चला है चाँद भी अब
सिद्धार्थ गोरखपुरी
घनाक्षरी
घनाक्षरी
Suryakant Dwivedi
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
MEENU SHARMA
इस पार मैं उस पार तूँ
इस पार मैं उस पार तूँ
VINOD CHAUHAN
दर्पण
दर्पण
Kanchan verma
देह से देह का मिलन दो को एक नहीं बनाता है
देह से देह का मिलन दो को एक नहीं बनाता है
Pramila sultan
Loading...