परीक्षा को समझो उत्सव समान
परीक्षा हो उत्सव समान ,
चाहे हो शैक्षणिक या ,
जीवन संचालन ।
ना भय न कुंठा न ही ,
तनाव हो मस्तिष्क में।
बस एक लगन ,एक जोश ,
हो तन मन में।
परीक्षा / प्रतियोगिता होती है ,
मनुष्य को परखने के लिए ।
जैसे सोने को आग में तपाया ,
जाता है निखारने के लिए ।
ईश्वर भी तो परीक्षा लेता है ,
अपने प्रिय भक्तों की ,
भक्ति को परखने के लिए ।
समय भी परीक्षा लेता है ,
मनुष्य को मजबूत बनाने के लिए ।
परीक्षा कठिन हो या सरल ,
यह मनुष्य की योग्यता पर निर्भर है ।
चारित्रिक दृणता या ज्ञान कोश ,
ज्ञात हो जाता है कितने स्तर पर है?
आवश्यता है केवल आत्म विश्वास और ,
आत्म संयम की , दृण निश्चय की ।
नहीं जरूरत घृणा ,ईर्ष्या ,द्वेष जैसे ,
मन में मनोभाव रखने की ।
जीवन स्वयं अपने आप में परीक्षा है ,
और यह जग है परीक्षा स्थल ।
शैक्षणिक परीक्षाएं तो एक बार होती है ,
जीवन की कठोर परीक्षाएं होती है पल पल ।
जब तक तन में श्वास है ,
परीक्षाओं से मनुष्य मुक्त नहीं हो सकता ।
जीवन को मनुष्यता की कसौटी पर कसे ,
बिना मनुष्य मनुष्य नहीं बनता ।
अन्ततः प्यारे विद्यार्थियों / मनुष्यो!
परीक्षा से न घबराओ।
अपने आत्म विश्वास और कठोर परिश्रम से,
सच्ची लगन ने इससे जितने का प्रयास करो ।