Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 May 2024 · 2 min read

परीक्षा का भय

मुझे याद आते हैं
अपने बचपन के दिन
जब परीक्षा देने घर से
निकला करते थे
मां किया करती थी बहुत से शगुन
कभी दही पीने को कहती थी
कभी शक्कर खाने को कहती थी
और न जाने क्या-क्या
ताकि अच्छी हो परीक्षा
और
अच्छे आएं अंक
मन के अंतस में भी कहीं
होता था एक अंजाना-सा भय
न जाने कैसी होगी परीक्षा
कैसा होगा प्रश्न पत्र
कैसे आएंगे अंक ,
यूं लगता था परीक्षा ही है
आपके समग्र जीवन का
एकमात्र मानक
आपकी योग्यता का मापदंड,
परीक्षा से कई दिन पहले से
हो जाती थी तैयारियां शुरू
और फिर सारी दुनिया से अनभिज्ञ
हम कस लिया करते थे अपनी कमर
संभावित किसी युद्ध के लिए
अपने तरकश को अचूक बाणों
से भर लेना बहुत जरूरी हो जाता था
युद्ध में विजय पाना
आवश्यक हो जाता था
आत्म सम्मान सब दांव पर लग जाता था,
परंतु , परंतु आज मौसम बदल गया है
बदल गया है समय
दौर बदल गया है,
परीक्षा पर चर्चा का दौर है आज
परीक्षा उत्सव का दौर है आज
परीक्षा समारोह का बन चुका है पर्याय ,
परीक्षाओं के इतिहास में
जुड़ा है एक नया अध्याय ,
अब केवल परीक्षा ही नहीं मात्र
जीवन का मूल्यांकन आधार
अब केवल परीक्षा ही नहीं
जीवन में सफलता का आधार ,
जीवन में सफल व्यक्तित्व का मापदंड
अब समझ गए हैं हम
जीवन को विभिन्न कौशलों से
सुंदर बना सकते हैं हम
जीवन में भरकर सात रंग
इंद्रधनुषी बना सकते हैं हम,
सच !! अब एक नया युग आया है,
परीक्षा का भय जिसने
कोसों दूर भगाया है
कोसों दूर भगाया है ll

28 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
View all
You may also like:
बेपरवाह खुशमिज़ाज़ पंछी
बेपरवाह खुशमिज़ाज़ पंछी
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
नयनों में नहीं सनम,
नयनों में नहीं सनम,
Radha Bablu mishra
क्रोध...
क्रोध...
ओंकार मिश्र
हिंदी दोहे विषय- मंगल
हिंदी दोहे विषय- मंगल
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
सफल हस्ती
सफल हस्ती
Praveen Sain
शब्द क्यूं गहे गए
शब्द क्यूं गहे गए
Shweta Soni
//•••कुछ दिन और•••//
//•••कुछ दिन और•••//
Chunnu Lal Gupta
पलकों से रुसवा हुए,
पलकों से रुसवा हुए,
sushil sarna
मेरी भी कहानी कुछ अजीब है....!
मेरी भी कहानी कुछ अजीब है....!
singh kunwar sarvendra vikram
जैसे आप अपने मोबाइल फ़ोन में अनुपयोगी सामग्रियों को समय-समय
जैसे आप अपने मोबाइल फ़ोन में अनुपयोगी सामग्रियों को समय-समय
Anand Kumar
3722.💐 *पूर्णिका* 💐
3722.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
‘1857 के विद्रोह’ की नायिका रानी लक्ष्मीबाई
‘1857 के विद्रोह’ की नायिका रानी लक्ष्मीबाई
कवि रमेशराज
निर्मोही से लगाव का
निर्मोही से लगाव का
Chitra Bisht
अटरू ली धनुष लीला
अटरू ली धनुष लीला
मधुसूदन गौतम
कौन सा हुनर है जिससे मुख़ातिब नही हूं मैं,
कौन सा हुनर है जिससे मुख़ातिब नही हूं मैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जेसे दूसरों को खुशी बांटने से खुशी मिलती है
जेसे दूसरों को खुशी बांटने से खुशी मिलती है
shabina. Naaz
ChatGPT
ChatGPT
पूर्वार्थ
🙅आज का आनंद🙅
🙅आज का आनंद🙅
*प्रणय*
श्री राम अयोध्या आए है
श्री राम अयोध्या आए है
जगदीश लववंशी
गम‌, दिया था उसका
गम‌, दिया था उसका
Aditya Prakash
आपको डुबाने के लिए दुनियां में,
आपको डुबाने के लिए दुनियां में,
नेताम आर सी
क्यों नहीं निभाई तुमने, मुझसे वफायें
क्यों नहीं निभाई तुमने, मुझसे वफायें
gurudeenverma198
फितरत दुनिया की...
फितरत दुनिया की...
डॉ.सीमा अग्रवाल
शृंगार छंद और विधाएँ
शृंगार छंद और विधाएँ
Subhash Singhai
वक्त निकल जाने के बाद.....
वक्त निकल जाने के बाद.....
ओसमणी साहू 'ओश'
अक्षर-अक्षर हमें सिखाते
अक्षर-अक्षर हमें सिखाते
Ranjeet kumar patre
युद्ध
युद्ध
Shashi Mahajan
*अफसर की बाधा दूर हो गई (लघु कथा)*
*अफसर की बाधा दूर हो गई (लघु कथा)*
Ravi Prakash
मुझसे गुस्सा होकर
मुझसे गुस्सा होकर
Mr.Aksharjeet
"पत्नी और माशूका"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...