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1 Mar 2020 · 2 min read

परीक्षा के पल

परीक्षा के पल
******************
बल्बों की लड़ियाँ
जलती बुझती है जिस कदर
परीक्षाओं के दिनों में
परीक्षार्थियों का दिल
तीव्र तो कभी मंद गति से
धड़कता रहता है और……
रक्तवाहिनियों का रक्तचाप भी
स्थिर नहीं रहता, अस्थिर होकर
घटता-बढ़ता रहता है और….
भूल जाते हैं खाना-पीना और सोना
जागते रहते हैं देर रात तक और….
जल्दी जाते हैं बिस्तर से उठ
एकाग्रता और लग्न से पढ़ने के लिए
अर्जित करने अज्छे अंक
उज्ज्वल और सुनरहे भविष्य के लिए
माता-पिता और अभिभावक भी रहते हैं
चिन्तित, परेशान और व्याकुल
अपने-अपने बच्चों के सफलता के लिए
उठाते हैं वांछनीय और अवांछनीय कदम
करते हैं यत्न ,प्रयत्न और दुआएं
रखते हैं उनका पूरा ध्यान और देखभाल
प्रदान करते हैं वो जरूरी सभी सुविधाएं
ताकि हो सके उनके दिल जिगर के टुकड़े
अच्छे अंक अर्जन से उतीर्ण और कामयाब
शिक्षकों के मस्तक पर भी चढ़ी रहती हैं
माथे पर त्यौरियां और चिंताएँ
छाया रहता है दिलोदिमाग अन्दर एक भय
कैसे होगा बेड़ा पार उनके अर्जुनों का
सरकार का भी दिया होता है डण्डा
होता है उनके ऊपर पूर्ण दवाब
अच्छा परिणाम लाने का कक्षावार
टिका होता है उनका भी आर्थिक लाभ
और भविष्य के पदोन्नति मामले
और बीठाते हैं वो भी कोई जुगाड़
अपनी पद और प्रतिष्ठा बचाने का
सचमुच परीक्षा के पल होते हैं बड़े ही
भययुक्त, डरावने और चिंताजनक
सुखविंद्र का सभी को यही मशविरा
चाहे शिक्षक, परीक्षार्थी हो या अभिभावक
स्वतंत्र मन से ,बिना किसी दवाब लगाकर ध्यान
करें सभी ईमानदारी और पूर्ण निष्ठा से काम
हो जाएंगे सभी को हासिल निश्चित मुकाम

सुखविंद्र.सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
179 Views
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