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27 Sep 2021 · 1 min read

परिस्थिति

थोडे भिन्न है परिस्थिति आज.
अधूरे पड़े है कामकाज आज.

लोग संगठित नहीं है, ऐसा नहीं.
संवेदनाओं में छुपा है गहरा राज.

इस खिली हुई बगिया में है सबकुछ,
भगवा चाहिए,खो दिया देश ने ताज,

अब कैसे सजे, वंदेमातरम सा साज.
धर्म पर लडने वालों खातिर खोले राज

सरदार भगतसिंह, नास्तिक बने आज,
गद्दार माफीवीर हत्यारों के खुले राज.

देखो दूर तक निगाहें पसार कर आज.
खोजे नहीं मिलती, वैज्ञानिक मति आज.

डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 436 Views
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