Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Aug 2021 · 15 min read

हिंदी शायरी संग्रह


इंसानों की बसी
इस दुनिया में
लोग पत्थर पूजते हैं
खुद बन बैठे हैं पत्थर
और भगवान पूजते हैं
जलाते क्यों नहीं दिए
उन अँधेरी राहों में
जहां हम तुम जैसे
इंसान बसतें हैं
सकून नहीं तुझे तेरे
इस बनाए जग में
फिर भी दूसरा प्यार भरा
एक जहान ढूंढते हैं


घर से यूँ
जो गुजरा मैं
उस महखाने मैं
आज शराब पी आया
ना खुशी थी यारों
ना गम था यारों
फिर भी मैं
बेहिसाब पी आया
इरादा ना था
मेरा पीने का
फिर भी पी आया
कुछ अपनी कह
कुछ उनकी सुन आया


यूँ ही गुजरेगी जिंदगी रह बसर
या अपना भी एक मूकाँ होगा
भीड़ भाड़ की इस दुनिया से
क्या अपना भी एक अलग जहाँ होगा
कमबख्त थक गए हैं
तेरे इन किराए के,
दर्रे दीवारें को देखकर
ए बिष्ट – इन महँगे शहरों में
क्या अपना भी एक घर होगा ।।


यह जो तेरी छोटी मोटी गुजारिशें
करती है मुझसे यह जो सिफारिशें
मुझको ऐसा मानती है
जैसे मैं कोई छोटा बच्चा हूं ।।


खामोश दिल की बाते
भला समझेगा कोन
सभी तो मसगुल यहां अपने मैं ही


न जाने कब उस वक्त से मुलाकात होगी
जब तेरी मेरी ही इस जहाँ मैं बात होगी
छूटेंगे, टूटेंगे वो तेरे मेरे मन के वहम
ना जाने कब इंसानो की बस्ती मैं
इसांनो से मुलाकात होगी ।


जिंदगी में धोखे मिलने भी जरूरी होते हैं ।
इसी से अच्छे बुरे की पहचान होती है ।।

नोका उसी की पार होती है ।
जिनको रास्ते में तूफान मिलते हैं ।।

गिरती हुई दीवारों को,
भला कौन देता है सहारा ।
गिरने के बाद ही मकान खड़े होते हैं ।।

बुझ जाती है लो अक्सर तूफानों में,
जो बुझी लो बने चिंगारी करें रोशन जहां
उसी की तो वक्त में पहचान होती है ।।

ए बिष्ट -कलम से ही गिर जाती है बड़ी-बड़ी दीवारें ।
इन जंग लगी तलवारों में कहां इतनी जान होती है ।।

इन धर्मो के नामों में क्या रखा है ।
आचरण से ही इंसान की पहचान होती है ।।


ए चांद जब भी तुझे देखता हूं
मुझे तुझ में –
अपने महबूब का दीदार नजर आता है
तुझ में तो दाग है –
लेकिन वह बेदाग नजर आता है ।


ऐ प्रकृति –
मुझे भी समेट ले
अपनी गोद में,
इतनी रंगत-
इस जहाँ में
और कहां ।


अपना दिले दर्द
बताएं किस – नाचीज को
हर कोई कमबख्त
मल्हम लिए
हाथ मैं नहीं फिरता ।


सजदे किए मैंने तेरे लिए
मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे में
और वो है कि हमे ही गुनहगार समझते हैं ।


ऐ कान्हा अब तेरे शहर में
मुरली खरीदने वाला कोई नहीं
सब लोगों को D.J का चस्का लग गया
कोई इधर गया कोई उधर गया ।


हृदय चंचल, मन चंचल,चंचल यह सारा जहां
प्रभु विराजे भितर हमारे, हम ढूंढे यहां वहां ।


वौ राह देखती होगी हमारा
अपने दरवाजे की चोखट पर खड़े होकर
और एक हम है कि यहां,
जिंदगी की उल्फत में पड़े हुए हैं ।


बीते हुए समय को याद करने पर,
इंसान को दो ही चीजें मिलती है
या तो खुशी, या फिर घाव ।


आज पलकें भीगी हैं उनकी,
हमारी याद मैं,
लगता है आज फिर बरसात होगी ।


जब, जब हूई यह बारिश,
मुझे तेरा आंचल याद आया है ।


तेरी याद
जंगल मैं लगी उस आग की तरह है
जिसमें सिर्फ मैं ही जला हूँ ।


मैनें रूह से तेरी मोहब्बत की है
जिस्म तो बाजारों मैं
कई मिल जाते हैं ।


मैं आज फिर उस गली से गुजरा
जिस गली में तेरा वो मकान था ।


उनसे कोई कह दे
यूँ रोज सपनो मैं ना आया करे
हमें आज कल नींद अब कम आती है ।


ना जाने
मेरे दिल का चालान कब कटेगा


अब तो मेरा पीछा छोड़
ए नादान जिंदगी
तेरे शहर में, मैं ही तो एक शख्स
गमों से मारा नहीं ।


आजकल मेरी आंखें सोती नहीं
ना जाने इनको किसका इंतजार है ।


ऐ जिंदगी –
थोड़ी सी मोहल्लत और दे, दे
अभी तो मैंने, उन्हें
जी भर देखा भी नहीं ।


मैं कई मुद्दतों से सोया नहीं हूं
मुझे आस है वह आएगी ।


मैंने हर मजहब की किताब पढ़ी
पर जो सकुन,
तेरी आँखों को पढ़ कर मिला
वह कहीं नहीं ।


ऐ खुदा इन हसीनाओं को
इतना भी हसीं ना बना
नहीं तो दिल,
यहां भी धड़कता है ।


एक ख्वाहिश-

जब मेरा जनाजा निकले
हाथों मैं मेरी कलम पकड़ा देना ।


आज के दौर की आशिकी
लबों से जिस्म पर आकर खत्म हो जाती है
आज जो तेरी है
कल किसी ओर की बाहों से लिपट जाती है

गलतफहमीयों का दौर है
आओ प्यार करें
तुम मंदिर जाकर अल्लाह
हम मस्जिद जाकर राम कहें

तुम मेरी यादों को दफना देना
हर उस गली, कूचे मैं,
जहाँ, जहाँ हम कभी मिले थे

वो लाल गुलाब भी अब मुरझा गया है
सिर्फ तेरे दिए, मेरे हिस्से
वो काटें ही बचे हैं

मेरी कब्र पर आकर रोना मत
दिल मेरा अब भी
तेरे लिए ही धड़कता है

तेरी मेरी वो मुलाकात की गवाह
अब भी वो गलियां, रास्तें हैं
जहाँ हम कभी मिले थे

मुझे रातों को जागना अब अच्छा लगता है
ये काली रातें मुझे
तेरी जुल्फों की याद दिलाती हैं

वो तेरे दिए खत की स्याही अब
धुंधली हो गई है
पर तेरी यादें
मेरे जहन से उतरती नहीं

में उनको पढ़ पाया
पर समझ नहीं पाया

उस किताब मैं रखा हुआ
अब वह मुरझाया हूआ लाल गुलाब
अब भी उनको याद करके
महक उठता है

वो आँखों से कत्ल करते हैं
ओर उन्हें कमबख्त
सजा भी नहीं होती

मैं ओर मेरी ये चारदीवारी
ओर इनमें बसी सिर्फ –
तुम्हारी यादें

उनका पीछे मुड़ कर
देखने का अंदाज भी खूब था
हम उन्हें देखते ही फिदा हो गए

तेरा मिलना भी अब मुझसे
ईद के चाँद जैसा हो गया ।


मेरी चूल्हे की रोटियां भी
अब फूलती नहीं है
ना जाने इनको किसका ग़म है ।


उफ़ आज के दौर की
यह हवस की आशिकी,
उसने कहा मुझे तुमसे प्यार है
और फिर वह बदन चूमने लगा ।


रात की तन्हाइयों में
कमबख्त चुपके से दबे पांव
तेरी याद,
मेरे जहन में घर कर जाती हैं ।


ऐ दोस्त-
साजिशों का दौर है
अब कौन ?
दिलों मैं मल्हम लिए फिरता है ।


उनके दिए हुए जख्म
आज भी गहरे हैं
मैं हर रोज इन पर
उनकी यादों का नमक छिड़कता हूं ।


मेरी मोहब्बत का ऐसा असर है
मैं उनको याद करता हूँ
ओर उन्हें हिचकि आने लगती है ।


यू जो तुम खेल रही हो मेरे जज़्बातों से
मैं वाकिफ हूं दोस्त –
तेरी हर चाल से ।


यह जो तुम दिए हुए मेरे तोहफे लौटा रही हो
कमबख्त नई नौकरी लगी है तुम्हारी
या किसी और गली अब जा रही हो ।


-वो हर दिन
एक नए गम में डूबे रहते हैं
उनको हूआ इश्क है
या कोई रोग ।


सोच रहा हूं,
इश्क पर एक किताब लिखूं
तुम्हें बेवफा,
और अपने को,
बर्बाद लिखूं ।


खिड़कियां भी हमारी खुली थी, दरवाजे भी,
बेवजह हसरतें पाल रखी थी
इस पागल दिल ने, उनके इंतजार में ।


उफ्फ जो तुम देख लो
एक नजर घड़ी भर इधर
सच कहता हूं –
मुर्दों मैं भी जान आ जाय

_
तुम भी अजनबी
मैं भी अजनबी
आओ हम मिलकर
एक हो जाएं ।


गैरों से मिलने,
सज संवर कर जाया करो
क्या पता तुझमे,
मेरी महक आज भी बची हो ।


अब वो आशिक ओर आशिकी कहाँ
जो घड़ा पकड़कर नदिया पार करते हैं ।


ये तेरे महेंदी वाले हाथों मैं
कभी मेरा नाम भी लिखा हुआ था
आज तुझे है, जिस चाँद का इंतजार
कभी तू ही,
मेरा चाँद, हूआ करता था ।

तुम भी बेवफा, यह मेरी जिंदगी भी बेवफा
मुझे है पता,
एक दिन तुम दोनों, मुझे छोड़ कर जाओगे ।

मैं घूमता रहा, जीवन भर,
हर उस गली, शहर मैं
जहाँ, जहाँ प्रिये,
तुम्हारी यादें बसी थी ।

मैं तुम्हारा इंतेजार
कयामत तक नहीं करूंगा
मुझे है पता,तुम मेरे बिन
एक पल भी नहीं रह सकती

ए रूप सुंदरी,
मेरे दिल की विरान बस्तियों में आकर
एक बार इन्हें भी आबाद होने का मौका दो ।

यूं जो मैंने किया इश्क पर मुकदमा
गैरत इस इश्क पर
हर कोई वकील तेरा ही निकला ।

तेरा साथ –
तेरी चेहरे की,
झुर्रियों के साथ तक ।

तेरा यह शहर बड़ा फरेबी है
चंद पैसे देकर
जिंदगी ले जाता है ।

मेरी चाहत की दरियादिली भी अजीब थी
उन्होंने मांगा मुझसे मेरा दिल
हमने कमबख्त अपना दिल
उनके हाथों में निकाल कर रख दिया ।

मेरे ज़हन में एक बार उतर कर देख लो
मेरा लहू का हर कतरा
तेरे रंग में ही रंगा है ।

जैसा भी है ठीक है, ए -बिष्ट
हमने कोन सा इस जहाँ मैं
सदियां गुजारनी है ।

तेरी बेवफाई मैं, मरने से अच्छा है
मैं किसी हादसें मैं मर जाऊँ ।

ऐ, इश्क -अब ओर कितने
आशिकों का जनाजा निकालोगी
कभी कब्र पर आकर हमारी,
इश्क मैं क्या हूआ, अंजाम हमारा देख लो ।

उनकी मोहब्बत का खेल भी अजीब था
चाल भी उनकी, पासे भी उनके ।

मैं हर बार जाकर उनकी गली में बदनाम हुआ
कमबख़्त मैंने इश्क किया या कोई गुनाह ।


जब से पढ़ ली हैं इंसान ने किताबें दो चार
तब से हर शख्स देखो,अपने मैं मगरूर हो गया ।

तुम्हारा दिया हूआ गुलाब, अब भी खुशबू दे रहा है
फर्क इतना है अब,
तुम्हारी यादें दिन पर दिन प्रिये, मुरझाने लगी हैं ।

मैं तुम्हारी यादें को संजो कर रखूँगा
क्योंकि ये मुझसे कभी, कभी
तुम्हारी बातें कर लेती हैं ।

मैं हर वो मजहब की दीवार तोड़ दुंगा
जहाँ इश्क करने पर पाबंदी हो ।

वो मेरी हकीकत से रूबरू नहीं हैं
इसलिए मुझसे इश्क कर बैठें हैं
उन्हें मालूम नहीं शायद,
मेरे इश्क के ना जानें कितने दुश्मन
हाथों मैं अपने खंजर लिए बैठे हैं ।

उनसे यूं कुछ इस तरह मुलाकात हुई
जैसे सारे शहर को छोड़कर
मेरे घर में ही बरसात हुई ।


ए खुशी कभी मेरे हिस्से भी आया कर
मुझसे तेरा क्या ऐसा, बैर वाला रिश्ता नाता ।

– एक मुल्क, सबके अपने, अपने धर्म
इंसानियत फिर भी किसी मैं जिंदा नहीं ।

– वो बैठे रहे हमारे इन्तेजार मैं, उस पेड़ के नीचे
जिसकी टहनीयों को बसंत ऋतु आने का इंतज़ार था ।

– तुम्हारी आँखों मैं गोते लगा के आज हम भी देखेंगे
सुना है इनमें बहुत गहराई है ।

– कुछ दूरियाँ जरूरी थी, हम दोनों के बीच
प्यार करने वाले सभी, बेवफा नहीं होते ।

– किस गम में खोए हुए हो
इश्क हूआ है, या
दिल में चोट खाए हुए हो ।

– मुझे वो कमबख्त बहुत याद आते हैं
ओर वो देखो ज़ालिम
चैन की नींद सो रहे हैं ।

-ए मेरी मोहब्बत,
तेरी गली मैं आना, जाना, बार, बार हुआ
सब के देखे चेहरे मैंने
बस एक कमबख्त,
इन आँखों को तेरा ही दीदार ना हुआ ।

– आओ सियासत करें
तुम हिंदू, हिंदू कहना
हम मुस्लिम, मुस्लिम ।


एक प्यार ही तो मागा है तुमसे
कोई पुनम का चाँद तो नहीं

कोई कहे इन मैखानो से अपनी औकात मैं रहे
मेरे महबूब से ज़्यादा नशा इनमें नहीं ।

तुम वादा तो करो मिलने का
हम जिंदगी गुजार देंगे तुम्हारे इन्तेजार में ।

उनके रूठ जाने का अंदाज भी अजीब था
उन्हें मनाते, मनाते हमारी जिंदगी गुजर गई ।

ढलती हूई उम्र में हर बात भुलते गए
पर तेरी गली का कमबख्त,
वो घर का तेरा पता हमें आज भी याद है ।

तुमसे इश्क करने की कोई वजह नहीं
कुछ फैसले मुकदर मैं लिखे होते हैं ।

तुम भी फरवरी की तरह निकली
आई और चली गयी ।

मैंने उनके लिए, उनकी गलियों की खाक छानी
उन्होंने समझा मागने कुछ फिर कोई फ़क़ीर आया है ।

मैंने हर बार बड़े अदब, लिहाजे से उनसे गुफ्तगू की
वो कम्भख्त मेरे इस सलीके को मेरी कमजोरी समझ बैठे ।

तुम मुझसे नाता तोड़ लो
तुम मेरे गम देखकर जी नही पाओगी
तुम्हें क्या मालूम
मेरी खुशी भी, मेरे गमों से पूछकर आती है ।


तेरी अमीरी से अच्छी मेरी गरीबी है
मैं अभी भी,
भूखे पेट सोने का हुनर रखता हूँ ।


वो तेरे शहर की गलियां मुझे बखूबी जानती हैं
मैंने हर मोड़,चौराहे पर तेरा सिर्फ
इन्तेजार ही इन्तेजार, किया हैं ।


ए खुदा तू मेरा इम्तिहान मत लिया कर
तू ही वह शख्स है जिसने मुझे बनाकर भुला दिया ।


यारों अगर मैं, मर भी जाऊ तो गम न करना
मेरी याद में, अपनी आँखों को नम न करना
जब कभी बैठाओगे महफ़िल,
मेरे नाम का जाम बनाना, बन्द न करना ।


इश्क में हाल मेरा ऐसा हूआ है
सिराने पर रखा हुआ यह तकिया
हर बार मेरा गीला हूआ है ।


रातभर उनकी यादों की तन्हाइयां डंसती रही
सुबह तक ख्वाब मुकमल ना हो पाया,
हाय यह ज़ालिम कैसा प्यार
फिर कोई आशिक रात भर न सो पाया ।
_
ए खुदा उनके ही घर के आगे से मेरा जनाजा निकले
तेरे सीने मैं बैसक मेरे जाने का गम ना हो,
पर मेरे होठों पर तेरे लिए ही दुआ निकले ।


मेरे सीने मैं दफन हैं कई राज
इश्क, वफ़ा ओर बेवफाई ।


मेरे रकीब तुझे खुदा, खुश रखे
मेरे महबूब को आदत है घर बदलने की ।


तेरी तस्वीर से लिपट कर, रो दूं या तेरी यादों से
कमबख्त इश्क करना पड़ा यहां बहुत महंगा ।


प्यार मैं ऐ बिष्ट, बस इतना ही काफी है
जब होता हूँ मैं उदास
वो अपने कंधे पर, मेरा सर रख देती है ।

हमनें की उनकी रूह से मोहब्बत
वो कम्बख्त प्यार के बाज़ीगर निकले ।

अपने हालातों पे जब भी तुम्हें रोना आएगा
तुम महसूस कर लेना –
मेरा प्यार, मेरे संग बिताए हूए वो दिन ।

तेरी गली का वो घर
अब मेरे लिए सिर्फ एक
मकान ही रह गया ।

मुझसे बेवफाई करने वाले
मेरे हिस्से का कुछ दर्द तुम भी ले जाते
तुम्हीं ने तो कहा था – दो दिल एक जान हैं हम।

तुम्हारा इंतेजार करते होंगे तुम्हारे अपने
मेरे हिस्से, उनकी यादें
ओर सिर्फ ये मेरे घर की चारदीवारी ।

कभी मिलना मुझसे अकेले मैं
घाव, अभी भी हरे हैं देख लेना ।

बचपन में वो खिलौनों से खेलते थे
बड़े होकर दिल से,
कम्बख्त उन्होंने आदत अभी भी नहीं बदली ।


सुनो मेरी रूह मैं तुम्हारी यादें बहुत बसी हैं
जाते-जाते इन्हें भी किसी श्मशान में दफना देना ।

आहिस्ता आहिस्ता चल ए जिंदगी
मुझे तेरी तलाश है, मौत की नहीं ।

दे सकते हो तो,
मुझे तुम मेरी वो रातों की नींद भी दे जाना
जो कभी मैंने तुम्हारे लिए खोई थी ।

उफ्फ इस दुनिया के रीति-रिवाजों ने
तुम्हें भी मजबूर कर दिया होगा,
हमें पता है –
हर इश्क के अंत की यही कहानी है ।

कमबख्त यह इश्क भी बहुत काबिल चीज है
उनकी बेवफाई ने मुझ नाकामें को भी शायर बना दिया ।

यह तुम गीले,शिकवे बाद मैं कर लेना
पहले जो वादे किए थे उन्हें निभा लो ।

उन्होंने जब भी मेरी चौखट पर दस्तक दी है
मेरी यह झोपड़ी महल हो गई ।

ऐ जिंदगी मुझे इतनी भी खुशी ना दिया कर
मैंने सुना है तू, सूत समेत सब कुछ वापस ले लेती हैं ।

यह जो तुम,
जिंदगी भर साथ निभाने की बात करते हो
यह तेरे वादें हैं –
या सिर्फ रातों वाले इश्क की खुमारी ।

ये जो तुम लोगों के अंदर मजहब की बहुत आग है
जाओ इस आग से किसी गरीब का चूल्हा जलाओ ।

शहर की हवाओं मैं अभी मजहब का शोर है
अरे मियां दूर से ही दुआ, सलाम कर लिया करो ।

उन्होंने कहा हमें भूल जाना
ओर हमें यह बात हमेशा याद रही ।

सुना है दिल मैं बहुत बातें दबाए बैठे हो
आओ फिर एक, एक चाय हो जाए ।

ए प्रिये जब भी तुम मुझसे मीलों
अपने हाथों की मखमली छुवन से
मेरी हथेलियों को दबा दिया करो ।

अब तो रंग बदलना छोड़ दो
होली खत्म हो गई है ।

उन्होंने शहर क्या बदला, दिल भी अपने बदल लिए
माँ सही कहती थी, शहर बेमानों का है ।

बहुत मुदतों से सोया था, रात की चादर मैं
उफ्फ फिर यह कमबख्त तेरी याद आ गई ।

मेरी रूह को अपने अंदर खींच लो
ये मुझे, तुम्हें भूलने नहीं देती ।

मुझको दफना देना सफेद चादर मैं
जाते, जाते भी उनकी ख्वाहिश पूरी हो जाय
जो कहते थे मुझे सफेद रंग अच्छा लगता है ।

मैं तेरी तारीफ नही कर सकता
डर लगता हैं कहीं तुम
कोई दूसरा आइना ना ढूढ़ लो ।

तुम्हें हमसे मोहब्बत है
या जाल में एक कबतुर ओर फसाए हूए हो ।

खुद की रंगीन शामें करके
अब किसका घर उजाड़ कर आए हो ।

ए प्रकृति – मुझे भी समेट ले अपनी गोद में,
इतनी रंगत- इस जहाँ में और कहां ।

एक कब्र मेरी भी खुदवा देना अपने बगल में
मेरी आदत मैं शुमार है तुझसे लिपटना ।

ए खुदा मुझे इश्क ना हो किसी से
मैंने घुट, घुट कर मरते देखा हैं यहाँ अपनों को ।

खुद को बेकसूर बताने वाली
आज भी हर गली, शहर मैं तेरे ही चर्चे हैं ।

ये तेरी, मेरी दूरियां होने से अच्छा है
कि तुम मुझे अपनी मन्नत का ताबीज बना लो ।

जिंदगी रही तो फिर मिलेंगे ए दोस्त
नही तो यादों में याद कर लेना ।


मेरी जिंदगी भी सिगरेट के धुएं की तरह हो गई है
हर बार कुछ लम्हे तुम्हारी याद में उड़ा देता हूं ।

रोज कहती हो मैं तुम से मिलूंगी
और इस आस में हम सोएं भी नहीं है ।

मेरा दिल भी तेरे आने के बाद कश्मीर बन गया
आए दिन हादसें होते, रहते हैं ।

उन्होंने बदुआ मैं हमारी मोत माँगी
हमने कहा हमें कबूल है ।

ये सुलगती चिता की लकड़ियां गवाह हैं
फिर कोई आशिक बेवफाई मैं मरा है ।

फिर उनका मेरे करीब से गुज़र जाना
मेरी जिंदगी मैं किसी हादसे से कम नहीं ।

मैंने तुम्हारी हर फरमाइश पूरी की है
देख लेना मैंने अभी भी अपनी DP चेंज नहीं की ।

मुझे पता है एक दिन तुम मुझे धोखा दोगी
फिर एक ओर आशिक पागल हो जाएगा ।

मुझे गिला नहीं अपने अकेलेपन से
मुझे नाराजगी है तेरी यादों से
कमबख्त बेवक़्त आ जाती हैं ।

चाँद को गुमान था अपने पर
मैंने उसे अपने महबूबा का दीदार करा दिया
उफ्फ यह चाँद भी !!

उसने कहा मैं तुमसे बेहद प्यार करती हूं
मैंने कहा हट नासमझ,मेरी माँ जैसा नहीं ।

जब भी वह मुझसे मिलकर जाती है
छोड़ जाती है अपनी यादें
ओर मेरे हिस्से तन्हाइयां !!

तुम मुझे भूलने से पहले
एक बार फिर इश्क करके देखना ।

मुझे उसके प्यार पर तब ऐतबार हूआ
जब उसने अपने बच्चे का नाम
मेरे नाम पर रखा !!

मुझे डर था अपनी मौत से
ओर कम्बख्त मुझे इश्क हो गया
उफ्फ यह इश्क भी !!

वो पी लेते हैं मयखानों मैं जाकर शराब
ओर एक हम हैं
जब से उन्हें देखा है नशा उतरा ही नहीं
उफ्फ उनकी ये आँखें !!

सुनों मैं भी तो जल रहा हूं
तेरी याद में !!

वो अब अकेले, अकेले हंसता और रोता है
ए खुदा क्या उसको भी अब इश्क हुआ है

उफ्फ यह इश्क भी !!

वह जब भी आती है भर लेती है मुझे अपनी बाहों में
जैसे उसे अपना सारा संसार मिल गया हो ।

सुनो जब भी आओगे दबे पांव आना
शहर के लोगों की जुबान में जहर है ।

उस बेवफा ने हर तरकश के तीर चलाएं
दिल मैं मेरे ज़ख्म देनें के लिए

या रब उनकी यह बेवफ़ाई !!

वह खुद को बेकसूर बता रही थी
जनाजे में मेरे आकर ।

देखों तुम्हारे जाने के बाद मैंने
बिस्तरे की सिलवटें भी नही हटाई ।

रात भर उनकी यादें छानी
सुबह भी दर्द ही मिला ।

उनके प्यार में कुछ इस कदर गिरफ्त हुए
जैसे वह कोई जादु, टोना जानती हो ।

वह अब मेरे लिए “रोजे ” रखने लगी है
आज अल्लाह, भगवान एक हो गए ।
उफ्फ ये धर्म के झगडे !!

मुझे “Follow” मत करो
मेरी जिंदगी मैं
” गम ” के सिवा कुछ नही !

उसने पूछा तुम्हारे दिल मैं क्या है
मेने कहाँ – ” इंकलाब ”
ओर वह कम्भख्त ” रुखसत ” हो गई !

हजारों ” माँ ” रोज मार खाती हैं पिता से
ओर हम ” मातृ दिवस ” मनाते हैं !!

तेरा मुझसे मिलने आना भी, भूकंप से कम नहीं
जब भी आती हो, बवाल हो जाता है ।

वह मजदूर ” मजबुर ” था साहब,
इसलिए मर गया
अमीर होता तो –
अब समझ भी जाओ !!

बहुत दूर तक जाएगी मेरी आवाज
सुना है टूटने पर आवाज बहुत होती है ।

बहुत टूटा हुआ सामान है मेरे घर में
एक दिल भी है मेरा जो मिल नहीं रहा
क्या तुमने देखा !!

ये मेरे घर की चारदीवारी भी अब मुझसे पूछती है
वह नूर कहां है –
जिनके आने से कभी यह घर रोशन हुआ करता था
उफ्फ अब तो आ जाओ !!

मेरे घर की अब हर चीज टूट जाती है
जब से उन्होंने मेरी दहलीज छोड़ी ।

हमनें उनकी दी हूई हर चीज संभाली है
देख लेना सिनें में मेरे दो दिल हैं ।

वह जब भी मुझसे मिल कर जाती है
मैं उनकी यादों के उन हिस्सों को
अपने जहन में उम्र कैद कर लेता हु !
उफ्फ उनकी ये यादें !!

मत पुछ साकी मुझसे हाल मेरा
किन, किन हालातों से होकर गुजरें हैं
जब से टूटा है दिल मेरा
हम गूँगे, अँधे, बहरें, हुए हैं ।

ए जिंदगी मुझे पता है, एक दिन तू भी मुझे धोखा देगी
फिर एक और शख्स, तेरी आगोश में सो जाएगा !
उफ्फ यह मौत भी ।

_
कितना सकून है इन , इंसानों की कब्र पर आकर
जीते जी , जो ये शोर बहुत करा करते थे ।
_
खुद से ही बातें कर लेता हूं , तुम्हारी
इस घर में कमबख्त तुम्हारी यादों के सिवा
रहता ही कौन है !
_
जीने के लिए क्या चाहिए
तुम और तुम्हारा इश्क ।
_
बहुत गहरे घाव है दिल में मेरे
इन्हें दुआ , दवा की जरूरत नहीं
सिर्फ तेरा साथ चाहिए !!
_
मेरी जिंदगी के कुछ पन्ने अधूरे हैं
आओ आकर इन पर अपना नाम लिख दो ।
_
बहुत गम है जिंदगी में
और एक कमबख्त तुम हो कि
बार-बार रूठ जाती हो !!
_
बहुत नामुमकिन है तुम्हें भूल जाना
और मुमकिन यह भी नहीं
की हम तुम्हें याद ना आए !
_
साजिशों , रंजिशों, के इस दौर में
अपना दिल ए दर्द, बताएं किस नाचीज को ।
ए मेरे दोस्त, यहां हर कोई कमबख्त,
अब मल्लहम लिए हाथ में नहीं फिरता ।।
_
जिन्दगी कुछ इस कदर रूठ गई है हमसे
अब तो मौत भी,
अपनी राह हमसे बदल लेती है ।
_
ए रब मेरे मरने की खबर उस तक पहुंचा देना
सुना है आज वह तेरे दर पर आने वाली है !!
_
मैं उसी पल मर जाऊंगा ,
जहां से तुम मुझे छोड़ दोगी !!

Language: Hindi
Tag: शेर
1 Like · 848 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
■ दास्य भाव के शिखर पुरूष गोस्वामी तुलसीदास
■ दास्य भाव के शिखर पुरूष गोस्वामी तुलसीदास
*Author प्रणय प्रभात*
हमारा संघर्ष
हमारा संघर्ष
पूर्वार्थ
"किताब और कलम"
Dr. Kishan tandon kranti
सिपाहियों के दस्ता कर रहें गस्त हैं,
सिपाहियों के दस्ता कर रहें गस्त हैं,
Satish Srijan
हे राम हृदय में आ जाओ
हे राम हृदय में आ जाओ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
हिन्दी दोहा बिषय- न्याय
हिन्दी दोहा बिषय- न्याय
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
तेरी याद आती है
तेरी याद आती है
Akash Yadav
तू है तो फिर क्या कमी है
तू है तो फिर क्या कमी है
Surinder blackpen
निज स्वार्थ ही शत्रु है, निज स्वार्थ ही मित्र।
निज स्वार्थ ही शत्रु है, निज स्वार्थ ही मित्र।
श्याम सरीखे
*कागभुशुंडी जी थे ज्ञानी (चौपाइयॉं)*
*कागभुशुंडी जी थे ज्ञानी (चौपाइयॉं)*
Ravi Prakash
💜💠💠💠💜💠💠💠💜
💜💠💠💠💜💠💠💠💜
Manoj Kushwaha PS
दुविधा
दुविधा
Shyam Sundar Subramanian
सत्यमेव जयते
सत्यमेव जयते
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
सुध जरा इनकी भी ले लो ?
सुध जरा इनकी भी ले लो ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
कुंडलिया छंद विधान ( कुंडलिया छंद में ही )
कुंडलिया छंद विधान ( कुंडलिया छंद में ही )
Subhash Singhai
"एक ख्वाब टुटा था"
Lohit Tamta
प्यारा भारत देश है
प्यारा भारत देश है
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
Muhabhat guljar h,
Muhabhat guljar h,
Sakshi Tripathi
सफलता
सफलता
Paras Nath Jha
भरोसा टूटने की कोई आवाज नहीं होती मगर
भरोसा टूटने की कोई आवाज नहीं होती मगर
Radhakishan R. Mundhra
ऐसी विकट परिस्थिति,
ऐसी विकट परिस्थिति,
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
राम नाम
राम नाम
पंकज प्रियम
वैराग्य का भी अपना हीं मजा है,
वैराग्य का भी अपना हीं मजा है,
Manisha Manjari
चंद्रयान-थ्री
चंद्रयान-थ्री
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
*** बचपन : एक प्यारा पल....!!! ***
*** बचपन : एक प्यारा पल....!!! ***
VEDANTA PATEL
महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि
Seema gupta,Alwar
वो ज़माने चले गए
वो ज़माने चले गए
Artist Sudhir Singh (सुधीरा)
सहेजे रखें संकल्प का प्रकाश
सहेजे रखें संकल्प का प्रकाश
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
2396.पूर्णिका
2396.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
ग्रामीण ओलंपिक खेल
ग्रामीण ओलंपिक खेल
Shankar N aanjna
Loading...