परिश्रम ही है सफलता की कुंजी
परिश्रम की अग्नि में तपकर सफलता का रंग बिखरता है
काटों का भी संग देखो ,फूलों को नहीं अखरता है
इस दुनिया में कुछ करके दिखाओ
दिन जल्दी जल्दी ढलता है
बीज भी तो मिट्टी में मिलने पर ही फलता है
खुशियों के फल ही मेहनत के वृक्ष पर लगते हैं
आशाओं के दीपक मेहनत रूपी तेल से जलते हैं
संग मेहनत के ,ईश्वर भी चलने लगता है
घोर अंधेरों में भी ,प्रभात निकलने लगता है
इस जीवन रूपी युद्ध भूमि में
कीर्ति के लिए ,श्रम करना पड़ता है
ईश्वर सिर्फ जीवन देता है ,रंग हमको भरना पड़ता है
जिसे देखा न हो दुनिया ने
तुम कुछ ऐसा कर जाओ
पानी है सफलता तो
मेहनत रूपी पर्वत पर चढ़ जाओ
किस्मत के सहारे जो चलते हैं
असफलता ही अंत गले लगती है
अथक प्रयासों से मिली सफलता ,सदियों तक गूंजती है
केवल स्वप्न देखने से ,स्वप्न सच नहीं होते हैं
सपने वो सच होते हैं ,जो मेहनत से सिंचित होते है।।