परिवार
शीर्षक – परिवार *************
एक सोच और मन भाव परिवार है।
बस खाली हाथ आना जाना जीवन है।
सुख दुःख सब कर्म का लेखा-जोखा परिवार हैं।
बस एक सोच संग साथ रंगमंच समय है।
तेरा मेरा रिश्ता एक परिवार में एतबार और वादा है।
हमसफ़र शब्द दोस्ती का सच रहता है।
बस बाकी तो सब मनभावों का वहम परिवार है।
हम तुम और जीवन की एक सोच होती हैं।
हां जल फरेब और स्वार्थ भी बस एक सोच हैं।
जिंदगी के साथ साथ हम सभी के मन भाव ही परिवार है।
सच तो बस तेरी मेरी एक सोच से जिंदगी परिवार
बनता हैं।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र