परिवार
****** परिवार ******
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सुंदर घर संसार है,
सुखमय गर परिवार है।
सुख -शांति-समृद्धि हो,
जीवन का आधार है।
सपनों से भरा घरौंदा,
हर जन का सत्कार है।
प्रेम – सागर बहता रहे,
जहाँ हो जो चमत्कार है।
हीरे-मोतियों से हो जड़ा,
श्रद्धा प्रीतम सरोबार है।
खुशियों भरा खज़ाना है,
चल पड़े जो कारोबार है।
ख़्वाब तो सारे रहें देखते,
बहुत कम होते साकार हैं।
मनसीरत का है हरा-भरा,
मनोरम निलय दरबार है।
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सुखविं8सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)