Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Dec 2017 · 2 min read

परिवार सुख का संसार

सब साथ हों तो बनता है परिवार …. सुख ,दुख में साथ दे परिवार ….
परिवार जीवन का आधार
मुझसे जादा परिवार की अहियत शायद कोई नहीं बता सकता या वो बता सकता है जो संयुक्त परिवार को महत्व देता है …
परिवार में एक दूसरे से प्रेम है ,विश्वास है ,मद्द है, संस्कार हैं आशीर्वाद है ,सीख है ,आदर है और भी बहुत कुछ है जो सभ्य समाज के लिये और मनुष्य के लिये जरूरी है ….समाज की इकाई है परिवार ….
दुख का बिषय है अब परिवार नहीं रहे … एकल परिवार यानी हम दो हमारे दो तीसरा कोई नहीं ….यह कोई परिवार की परिभाषा थोड़े ही है …ना नाते ना रिश्ते ना रिश्तेदार.. जब रिश्ते ही नहीं तो कैसा परिवार ….माँ बाप चले गये कमाने बच्चे को क्रच में छोड़ दिया या फिर दाई माँ के हवाले कर दिया तो कहाँ से आयेंगे उसमें आपके संस्कार
आप एक संयुक्त परिवार के बच्चे से मिलिये और एक एकांकी परिवार के बच्चे से मिलिये आपको फर्क खुद से दिखायी देगा जहाँ संयुक्त परिवार का बच्चा शिष्ट और संस्कारी होगा वहीं एकल परिवार के बच्चे में असभ्यता देखने को मिलेगी ..वजह हम सब जानते हैं पर मानते नहीं उसका अकेलापन उसको चिड़चिड़ा और विद्रोही बना देता है
आज जरूरत है फिर से संयुक्त परिवारों की …
माना कम्यूटर , टी.बी और मोबाइल के होते अब कोई अकेला नहीं है फिर भी अकेलापन है ,अधूरा पन है ,खालीपन है जो परिवार में रहते नहीं होता है उस खालीपन को भरने की लिये हम मशीनों का सहारा ले रहे हैं
वाह रे भौतिकवादी युग तू सारे रिश्तों को लील गया पीछे छोड़गया अनेंको आश्रम
अनाथ आश्रम ,वृद्धाश्रम ,विधवा आश्रम ये आश्रम वो आश्रम
इन आश्रमों को खत्म करने के लिये जरूरत है परिवारों की जिनका आजकल खात्मा होता जा रहा है
रागिनी गर्ग
रामपुर यू.पी.
9/12/17

Language: Hindi
Tag: लेख
5 Likes · 563 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सोलह आने सच...
सोलह आने सच...
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
कितने ही रास्तों से
कितने ही रास्तों से
Chitra Bisht
ଏଭଳି ସ୍ଥିତି ଉପୁଜିଛି
ଏଭଳି ସ୍ଥିତି ଉପୁଜିଛି
Otteri Selvakumar
*डॉ मनमोहन शुक्ल की आशीष गजल वर्ष 1984*
*डॉ मनमोहन शुक्ल की आशीष गजल वर्ष 1984*
Ravi Prakash
अपना अपना कर्म
अपना अपना कर्म
Mangilal 713
मैं लिखती नहीं
मैं लिखती नहीं
Davina Amar Thakral
तेरी गोरी चमड़ी काली, मेरी काली गोरी है।
तेरी गोरी चमड़ी काली, मेरी काली गोरी है।
*प्रणय*
*फ़र्ज*
*फ़र्ज*
Harminder Kaur
प्रेरणा - एक विचार
प्रेरणा - एक विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
गंगा...
गंगा...
ओंकार मिश्र
" गपशप "
Dr. Kishan tandon kranti
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
फटा ब्लाउज ....लघु कथा
फटा ब्लाउज ....लघु कथा
sushil sarna
क्या बिगाड़ लेगा कोई हमारा
क्या बिगाड़ लेगा कोई हमारा
VINOD CHAUHAN
चेहरे क्रीम पाउडर से नहीं, बल्कि काबिलियत से चमकते है ।
चेहरे क्रीम पाउडर से नहीं, बल्कि काबिलियत से चमकते है ।
Ranjeet kumar patre
Remembering that winter Night
Remembering that winter Night
Bidyadhar Mantry
देख लेते
देख लेते
Dr fauzia Naseem shad
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
2780. *पूर्णिका*
2780. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बहुत ही घना है अंधेरा घृणा का
बहुत ही घना है अंधेरा घृणा का
Shivkumar Bilagrami
निगाह  मिला  के , सूरज  पे  ऐतबार  तो  कर ,
निगाह मिला के , सूरज पे ऐतबार तो कर ,
Neelofar Khan
पकौड़े चाय ही बेचा करो अच्छा है जी।
पकौड़े चाय ही बेचा करो अच्छा है जी।
सत्य कुमार प्रेमी
वेलेंटाइन डे बिना विवाह के सुहागरात के समान है।
वेलेंटाइन डे बिना विवाह के सुहागरात के समान है।
Rj Anand Prajapati
मुक्तक
मुक्तक
पंकज कुमार कर्ण
जीवन से अज्ञानता का अंधेरा मिटाते हैं
जीवन से अज्ञानता का अंधेरा मिटाते हैं
Trishika S Dhara
प्रेम जीवन में सार
प्रेम जीवन में सार
Dr.sima
ब्राह्मण
ब्राह्मण
Sanjay ' शून्य'
عزت پر یوں آن پڑی تھی
عزت پر یوں آن پڑی تھی
अरशद रसूल बदायूंनी
*
*"मां चंद्रघंटा"*
Shashi kala vyas
आज जो कल ना रहेगा
आज जो कल ना रहेगा
Ramswaroop Dinkar
Loading...