परिवार सुख का संसार
सब साथ हों तो बनता है परिवार …. सुख ,दुख में साथ दे परिवार ….
परिवार जीवन का आधार
मुझसे जादा परिवार की अहियत शायद कोई नहीं बता सकता या वो बता सकता है जो संयुक्त परिवार को महत्व देता है …
परिवार में एक दूसरे से प्रेम है ,विश्वास है ,मद्द है, संस्कार हैं आशीर्वाद है ,सीख है ,आदर है और भी बहुत कुछ है जो सभ्य समाज के लिये और मनुष्य के लिये जरूरी है ….समाज की इकाई है परिवार ….
दुख का बिषय है अब परिवार नहीं रहे … एकल परिवार यानी हम दो हमारे दो तीसरा कोई नहीं ….यह कोई परिवार की परिभाषा थोड़े ही है …ना नाते ना रिश्ते ना रिश्तेदार.. जब रिश्ते ही नहीं तो कैसा परिवार ….माँ बाप चले गये कमाने बच्चे को क्रच में छोड़ दिया या फिर दाई माँ के हवाले कर दिया तो कहाँ से आयेंगे उसमें आपके संस्कार
आप एक संयुक्त परिवार के बच्चे से मिलिये और एक एकांकी परिवार के बच्चे से मिलिये आपको फर्क खुद से दिखायी देगा जहाँ संयुक्त परिवार का बच्चा शिष्ट और संस्कारी होगा वहीं एकल परिवार के बच्चे में असभ्यता देखने को मिलेगी ..वजह हम सब जानते हैं पर मानते नहीं उसका अकेलापन उसको चिड़चिड़ा और विद्रोही बना देता है
आज जरूरत है फिर से संयुक्त परिवारों की …
माना कम्यूटर , टी.बी और मोबाइल के होते अब कोई अकेला नहीं है फिर भी अकेलापन है ,अधूरा पन है ,खालीपन है जो परिवार में रहते नहीं होता है उस खालीपन को भरने की लिये हम मशीनों का सहारा ले रहे हैं
वाह रे भौतिकवादी युग तू सारे रिश्तों को लील गया पीछे छोड़गया अनेंको आश्रम
अनाथ आश्रम ,वृद्धाश्रम ,विधवा आश्रम ये आश्रम वो आश्रम
इन आश्रमों को खत्म करने के लिये जरूरत है परिवारों की जिनका आजकल खात्मा होता जा रहा है
रागिनी गर्ग
रामपुर यू.पी.
9/12/17