*परिवार: सात दोहे*
परिवार: सात दोहे
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1)
तीन पीढ़ियॉं रह रहीं, छत के नीचे एक
सर्वोत्तम पारिवार यह, सद्विचार यह नेक
2)
सुख-दुख में सब जन जहॉं, होते भागीदार
सघन जहॉं आत्मीयता, धन्य-धन्य परिवार
3)
बीमारी में पति चले, पकड़े पत्नी-हाथ
धन्य-धन्य पाणिग्रहण, धन्य-धन्य यह साथ
4)
दुख सब ऐसे कट गए, जैसे कोई खेल
बॉंट लिए परिवार ने, जहॉं परस्पर मेल
5)
बेटे बहुऍं रह रहे, जिनके अपने पास
पावन वह घर पूज्य है, स्वर्गलोक का वास
6)
पोता-पोती खेलते, जहॉं मुदित दिन-रात
स्वर्ग-लोक को दे रहा, देखो वह घर मात
7)
दादी बाबा का जहॉं, होता है सम्मान
घर वह पावन स्वर्ग-सम, सभी सुखों की खान
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451