परिवार दिवस है आज — गजल/ गीतिका
न वार हो न तकरार हो, सबका अपना परिवार हो।
हंसते मुस्कुराते गुजरे जिंदगी,एक दूजे की दरकार हो।
नादानी अनजाने में हो जाती है गलतियां कभी-कभी।
मिल बैठकर सुलझा लीजिए आप समझदार हो।।
बर्तन पांच है बजते है बजने दीजिए,दिल पे न लीजिए।
टूट-फूट कहां से हो रही है, फिर से उनमें सुधार हो।।
बनो आंख के तारे,चमको जैसे चमके सितारे।
चमक-दमक से ही मुख का श्रंगार हो।।
तोड़ते हैं तोड़ने वाले, आपको तो जुड़ना है।।
पूरक हो एक दूसरे के न कि भार हो।।
परिवार दिवस है आज, करना जरूर यह काज।
करेगी दुनियां नाज, अपने घरों की आप सरकार हो।।
राजेश व्यास अनुनय
??सभी को परिवार दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ??