परिवार तक उनकी उपेक्षा करता है
सोचता हूँ—————
जिस प्रकार सो रही है यह दुनिया,
बेखबर गहरी नींद में,
खास सो सकूँ मैं भी ऐसे ही,
लेकिन खुल जाती है मेरी आँख तो,
विचारों का बवंडर लिये दिमाग में।
लोग सोचते होंगे कि,
यह कैसा आदमी है,
जो सोता नहीं है रात में भी,
और मैं भी सोचता हूँ कि,
मुझसे ही क्यों दुश्मनी है नींद को।
हाँ, मेरा भी कोई सपना है,
जो देखता हूँ मैं नींद में,
जिसको साकार देखना चाहता हूँ ,
मैं अपनी आँखों के सामने।
और चाहिए मुझको मदद किसी की,
लेकिन कोई मेरी मदद नहीं करता,
कहते हैं कि मैं जवान हो गया हूँ ,
और मुझको किसी मदद नहीं लेनी चाहिए।
हाँ, एक सवाल बार बार,
मेरे दिलो-दिमाग में उठता है,
युवा बेरोजगार क्यों है ?
वृद्ध बेसहारा क्यों है ?
शायद कारण यही है कि,
परिवार तक उनकी उपेक्षा करता है।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)